सीमा पार आतंकवाद

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पाकिस्तान लगातार भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। शनिवार की शाम जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के काफिले पर हमला इस वर्ष की पहली बड़ी आतंकवादी घटना में वायुसेना के पांच कर्मी घायल हो गए और उनमें से एक ने बाद में एक सैन्य अस्पताल में दम तोड़ दिया। सीमावर्ती पुंछ जिले के साथ-साथ निकटवर्ती राजौरी में पिछले दो वर्ष में बड़े आतंकवादी हमले हुए हैं। रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद को रोकना होगा। भारत का कहना है कि वह पाकिस्तान के साथ पड़ोसी देशों की तरह सामान्य संबंध रखना चाहता है लेकिन इसके लिए आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है।

इस बीच कटक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अहम हिस्सा है, जिसे भुला दिया गया था, लेकिन अब फिर से लोगों की चेतना में आ गया है। पीओके कभी भी देश से बाहर नहीं रहा है। यह देश का हिस्सा था और हमेशा रहेगा। पीओके पूरी तरह से भारत का हिस्सा है, किसी अन्य का नियंत्रण कैसे हो सकता है। 

गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। पाकिस्तान ने कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर रखा है। इसे पीओके कहा जाता है। पाकिस्तान के लोग पीओके को ‘आजाद कश्मीर’ कहते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा है कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा, लेकिन इसे बलपूर्वक अपने कब्जे में करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, क्योंकि इसके लोग कश्मीर में विकास को देखने के बाद स्वयं इसमें शामिल होना चाहेंगे।

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पीओके हमारा था…है और हमारा रहेगा। जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से पर अवैध कब्जा करने के बाद से पाकिस्तान लगातार वहां के लोगों का दमन कर रहा है। पीओके में कोई मानवाधिकार नहीं है। इसकी पुष्टि कई मानवाधिकार संगठनों ने भी की है, जबकि यहां जम्मू-कश्मीर में आरंभ से संवैधानिक व्यवस्था और कुछ अपवादों को छोड़कर लगातार लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारें रही हैं। आतंकवाद को बढ़ावा देने के साथ पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों का मुद्दा उठाने की कोशिश करता रहा है।

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ऐसे में आवश्यकता है कि पीओके के लोगों के अधिकारों के पक्ष में भारत सशक्त अंतर्राष्ट्रीय अभियान चलाए। वैसे ये मुद्दा भारत बनाम पाक का नहीं, बल्कि मूलभूत मानव अधिकारों का है, जिन्हें सुनिश्चित करना संयुक्त राष्ट्र का दायित्व है। 

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