राजनीति: अमेठी को अलविदा, रायबरेली पर फिदा

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रायबरेली। रायबरेली-अमेठी के उम्मीदवारों का सस्पेंस आखिर नामांकन के आखिरी दिन सुबह-सुबह ही टूटा। राहुल गांधी अमेठी को अलविदा कहते हुए रायबरेली पर फिदा हो गए। अमेठी में अपने विश्वास पात्र किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतर जरूर है लेकिन गांधी परिवार अब रायबरेली को ही पूरी तरह से अपनाना चाहता है।

गांधी परिवार के इस निर्णय को काफी आश्चर्य के साथ इसलिए आज देखा गया कि लोगों को उम्मीद थी सोनिया गांधी की जगह प्रियंका को ही रायबरेली से मैदान में उतर जाएगा और राहुल गांधी अमेठी से ही चुनाव लड़ेंगे लेकिन गांधी परिवार ने अपने फैसले से सबको चौंका दिया। अब इस बात की चर्चा भी तेज हो गई है आखिर गांधी परिवार ने 50 साल बाद अमेठी को इस तरह अलविदा क्यों कह दिया?


माना जा रहा है कि राहुल गांधी के अमेठी को अलविदा खाने के पहले संकेत भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान ही मिल गए थे। न्याय यात्रा लेकर राहुल गांधी अमेठी रायबरेली दोनों जनपदों से होकर गए थे। अमेठी के उदारी गांव में उन्होंने रात भी गुजारी थी। अमेठी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और यहां की जनता के प्रति उनका भाव रुक रुखा रूखा ही रहा था। सुबह अमेठी के करीब 400 कार्यकर्ता राहुल गांधी से मिलने के लिए उदारी गांव पहुंचे लेकिन राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को 5 मिनट का भी वक्त नहीं दिया था। उसे दौरान ही कार्यकर्ताओं को एहसास हो गया था कि राहुल गांधी अब अमेठी का रुख नहीं करेंगे।
अपने परिवार के चार दशक से विश्वासपात्र किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से मैदान में उतार कर गांधी परिवार ने उसे प्रयोग को फिर दोहराया है जो कैप्टन सतीश शर्मा के साथ शुरू किया गया था। यह प्रयोग सफल रहा तो गांधी परिवार दोहरे लाभ में आ जाएगा। अगर किशोरी लाल शर्मा भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी को शिकस्त देने में कामयाब रहे तो गांधी परिवार फिर अमेठी पर भरोसा करके उसे अपना बनाने में नहीं चूकेगा।

रायबरेली को अपनाने की रणनीति के पीछे गांधी परिवार का यहां के लोगों पर बढ़ता भरोसा है। सोनिया गांधी द्वारा लड़े गए पांच चुनाव में रायबरेली के लोगों ने हमेशा साथ दिया। इसीलिए गांधी परिवार रायबरेली को सेफ सेट मानकर ही राहुल गांधी को चुनाव में सामने लाया है। हालांकि यहां के लोग अस्वस्थ थे कि सोनिया गांधी की जगह प्रियंका गांधी ही चुनाव लड़ेंगे क्योंकि वही चुनाव प्रबंधन संभालती रही है लेकिन नई रणनीति से लग रहा है कि गांधी परिवार प्रियंका की चुनावी पारी शुरू करने में अभी जल्दबाजी में नहीं है।

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