लोस चुनाव : सीतापुर में कांग्रेस 6 बार जीती, 7 बार जमानत जब्त

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लखनऊ। प्रदेश की अहम संसदीय सीटों में शुमार सीतापुर किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। इस सीट पर अब तक हुए 17 संसदीय चुनाव में रिकार्ड 6 बार कांग्रेस ने जीत का झंडा गाड़ा है। इस सीट पर जीत की हैट्रिक का कीर्तिमान भी कांग्रेस के खाते में है। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस की 7 बार जमानत भी जब्त हो चुकी है। बता दें, सीतापुर सीट पर कांग्रेस ने आखिरी जीत 30 साल पहले दर्ज की थी।

पहले चुनाव में कांग्रेस जीती-
सीतापुर संसदीय सीट पर पहला आम चुनाव 1952 में हुआ। तब इस सीट से दो सांसद चुने जाते थे। इस चुनाव में कांग्रेस के परागी लाल और उमा नेहरू ने कांग्रेस को जीत दिलाई। 1957 में भी परागी लाल और नेहरू दोबारा जीतकर दिल्ली पहुंचे। 1962 के आम चुनाव में इस सीट से एक सांसद चुना जाने लगा। इस चुनाव में कांग्रेस के हाथों से सीट निकल गई। जनसंघ प्रत्याशी सूरज लाल ने कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह को परास्त किया था।

1971 में कांग्रेस की जीत के साथ वापसी-
पांचवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत के साथ वापसी की। कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश चन्द्र दीक्षित ने भारतीय जनसंघ के जयनारायण राठी को हराया। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 56.67 फीसदी वोट मिले थे।

कांग्रेस विरोधी लहर में जमानत बची-
इमरजेंसी के बाद 1977 के आम चुनाव के समय देश में प्रचंड कांग्रेस विरोधी लहर थी। इस चुनाव में भारतीय लोकदल प्रत्याशी हरगोविंद वर्मा ने कांग्रेस उम्मीदवार को 1 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल रहा।

1980 में मिली जीत-
सातवीं लोकसभा के लिए 1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस की राजेन्द्र कुमारी बाजपेई ने जीत दर्ज की। राजेन्द्र कुमारी ने 1984 और 1989 के चुनावा में भी जीत हासिल की। इस सीट पर राजेन्द्र कुमारी बाजपेई की जीत की हैट्रिक का रिकार्ड अब तक टूटा नहीं है।

1991 में पहली बार खिला कमल-
1991 के आम चुनाव में यहां पहली बार भाजपा प्रत्याशी जर्नादन प्रसाद मिश्रा ने कमल का फूल खिलाया। तीन बार की सांसद कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र कुमारी बाजपेई दूसरे स्थान पर रही।

1996 में शुरू हुआ जमानत जब्त का सिलसिला-
11वीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के सितारे गर्दिश में आ गए। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राम गोपाल मिश्रा 10.00 फीसदी वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे। पहली बार इस सीट पर किसी कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई। 1998 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अम्मार रिजवी के हिस्से में 10.17 फीसदी वोट आए। रिजवी अपनी जमानत गंवा बैठे।1999 के चुनाव में कांग्रेस के अम्मार रिजवी को 15.98 फीसदी वोट हासिल हुए। इस चुनाव में रिजवी चौथे स्थान पर रहे। वो अपनी जमानत बचाने में विफल रहे।

2004 में कांग्रेस प्रत्याशी राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खां को 11.53 फीसदी वोटों के सथ चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत इस चुनाव में भी जब्त हो गई। 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी राम लाल तीसरे स्थान पर रहे। राही को 16.64 फीसदी वोट मिले, मात्र कुछ ही वोटों के अंतर से उनकी जमानत जब्त हो गई।2014 के आम चुनाव में कांग्रेस चौथे स्थान पर रहा। कांग्रेस प्रत्याशी वैशाली अली के खाते में 2.83 फीसदी वोट आए। कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई। 2019 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कैसर जहां 9.01 फीसदी वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं। हालांकि वह अपनी जमानत बचाने में विफल रहीं।

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