आठ स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी

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दिल्ली के बाद अब गुजरात के अहमदाबाद में आठ स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी वाला ईमेल मिला है। इससे अभिभावकों में फैली दहशत है। प्रारंभिक जांच के अनुसार ईमेल भारत के बाहर से भेजा गया है। दरअसल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मंगलवार को तीसरे चरण के लिए मतदान किया जाना है। गुजरात की 25 लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा।

इससे ठीक एक दिन पहले सुबह के समय एक ईमेल मिला, जिसमें स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। अहमदाबाद में वीआईपी आवागमन बना रहता हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समेत तमाम बड़ी हस्तियों के वोट डालने की संभावना है। इसके चलते अहमदाबाद पुलिस डॉग स्क्वॉयड और बम निरोधक दस्ते के साथ स्कूलों की जांच में जुटी है।

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बेंगलुरु, दिल्ली के बाद अब अहमदाबाद में वही अफरातफरी का माहौल है। इस धमकी के बाद परिजन परेशान हो गए। पुलिस ने अभिभावकों से परेशान नहीं होने की अपील की है। निश्चित रूप से बम संबंधी ईमेल भेजने का मकसद बड़े पैमाने पर दहशत पैदा करना और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना था।

गौरतलब है कि बीते 1 मई को दिल्ली-एनसीआर में स्थित करीब 100 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी ईमेल के जरिए भेजी गई थी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और नोएडा के अलावा बेंगलुरु, कोलकाता और चेन्नई सरीखे महानगरों के स्कूलों में भी ऐसी फर्जी और अफवाह वाली मेल भेजी जा चुकी हैं।  

हालांकि दहशत फैलाने वाले का मकसद क्या था, इस बाबत भी पुलिस की जांच जारी है। पुलिस का मानना है कि संभव है कि इसके लिए ‘डार्कनेट’ या ‘प्रॉक्सी सर्वर’ का प्रयोग किया गया हो। पुलिस की आतंकवाद विरोधी ईकाई, स्पेशल सेल भी जांच में जुड़ी है। साजिशकर्ता कहीं बैठकर भी ये मेल भेज सकते थे। 

दो वर्ष पहले भी भोपाल शहर के मिशनरी स्कूलों को बम से उड़ाने कि फर्जी धमकी भरा ईमेल भेजने के मामले में साइबर क्राइम पुलिस ने खुलासा किया था कि वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिए जनरेट होने वाले इंटरनेट प्रोटोकोल ऐड्रेस के माध्यम से ईमेल स्कूलों की मेल आईडी पर आने की जानकारी एवं साक्ष्य उस विवेचना में मिले। उस समय भी सवाल था कि यह किसी आतंकी हमले का पूर्वाभ्यास भी हो सकता है?

क्या आतंकी ताकतें हमारी व्यवस्था को सचेत कर, अंतत: लापरवाह कर देना चाहती हैं, ताकि असल हमला किया जा सके। हालांकि इन ईमेल के मूल तक पहुंचना या साजिशकर्ता को चिह्नित करना लगभग ‘असंभव’ है। क्योंकि ईमेल भेजने के बाद ऐसे अकाउंट समाप्त कर दिए जाते हैं। चूंकि ऐसी धमकियां भी ‘साइबर अपराध’ का हिस्सा हैं, जिसके खिलाफ कार्रवाई के लिए अतिरिक्त सक्रियता बरतने की जरूरत है।

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