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चुनाव परिणाम के मायने
पाकिस्तान में अंतत: रविवार को आम चुनाव के अंतिम परिणाम घोषित कर दिए गए। अंतिम परिणामों ने लोगों को चौंका दिया है। किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिलने से सरकार बनाने की स्थिति साफ नहीं हो पाई है। फिलहाल जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं, तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) 75 सीट जीतकर तकनीकी रूप से संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
सेना समय-समय पर अपने फायदे के लिहाज से राजनीतिक मोहरे चुनती आई है। पिछले चुनाव में वह इमरान खान के पीछे खड़ी थी और तब इमरान पहली बार प्रधानमंत्री बनने में सफल भी हुए। फिर इमरान के साथ अनबन हुई तो विरोधी दलों को एक मंच पर लाकर सेना ने उनकी गठबंधन सरकार गठित करा दी। चुनाव नतीजे संकेत कर रहे हैं कि देश पर सेना की पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है। इस बार भी चुनाव में सेना ने खेल खेला फिर भी अपने इरादों मे सफल नहीं हो सकी।
अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि सेना को नवाज शरीफ का समर्थन करते हुए देखा गया था। परंतु अब जनता सेना के राजनीतिक हस्तक्षेप और पारंपरिक राजनीतिक दलों के रवैये से निराश हो चुकी है। जनता में सेना का डर कम हो गया है। वह अपने पड़ोस में भारत को तरक्की करते हुए और विश्व की एक बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित होते देख रही है। कई विश्लेषक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में यह कहते हैं कि वह अपने देश को सही दिशा में ले जा रहे हैं।
इस समय पाकिस्तान कई समस्याओं से जूझ रहा है। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। इसका असर अन्य मोर्चों पर भी पड़ रहा है। स्थिति ऐसी हो गई है कि तालिबान भी उसे आंखें दिखा रहा है। ईरान ने तो कुछ दिन पहले एक प्रकार का हवाई हमला कर दिया।
ऐसे में सरकार किसी की भी बने परंतु उसके सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी। भारत चाहेगा कि वहां स्थायी सरकार बने। पाकिस्तान को यदि मौजूदा चुनौतियों से निपटना है तो उन सुधारों का सूत्रपात करना होगा, जो उसे आवश्यक स्थायित्व एवं संतुलन प्रदान करने की ओर ले जाएं।