चुनाव आयोग की सीख

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विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में इस बार लोकसभा चुनाव में 31.2 करोड़ महिलाओं समेत 64.2 करोड़ मतदाताओं की भागीदारी के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया है। 

झुलसाती गर्मी व तूफान के बावजूद सात चरणों वाले लंबे चुनाव अभियान में मतदाताओं का उत्साह दुनिया को भारतीय लोकतंत्र की ताकत दिखाता है। दुनिया की सबसे बड़ी मतदान प्रक्रिया में 68,000 से अधिक निगरानी दल और डेढ़ करोड़ से अधिक मतदान तथा सुरक्षा कर्मी शामिल रहे। इस दृष्टि से लोकसभा चुनाव 2024 विश्व के लोकतांत्रिक इतिहास में भारत का कीर्तिमान कहा जा रहा है।

 महत्वपूर्ण है कि तमाम सांस्कृतिक, भौगोलिक व राजनीतिक रूझान में विविधताओं वाले इस देश में चवालीस दिन की सबसे लंबी अवधि वाले आम चुनाव की प्रक्रिया चुनाव प्रक्रिया विश्वसनीय मानी जाती है। लोकतंत्र के इस उत्सव में चुनाव आयोग से जो अपेक्षाएं थीं, उन पर खरा उतरने के लिए तैयारियां भी की गईं थी। परंतु भारतीय चुनावों की प्रणाली ऐसी है कि इसमें चुनाव के बाद भी जांच की गुंजाइश होती है। 

इस बात को मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी स्वीकार किया है। इसलिए आयोग के कामकाज को लेकर शिकायतें भी रहीं। आम चुनावों में ईवीएम को लेकर भी कई सवाल उठे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआए) और कॉमन कॉज नाम की दो संस्थाओं ने अदालत में एक आवेदन देकर इस बार के चुनावों में मतदान के प्रतिशत के आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग उठाई। ऐसे में चुनाव आयोग ने देश में चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता, पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए आयोग द्वारा की गई व्यवस्थाओं को सोमवार को पुनः रेखांकित करते हुए कहा कि चुनाव के बारे में अनर्गल बातें फैलाने का बाजार एक बड़ा खतरा बन गया है और इसके खिलाफ सावधानी बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर झूठी अफवाहों से निपटने के लिए बहुत तत्पर रहने की जरूरत है। इस चुनाव की कुछ महत्वपूर्ण सीख हैं, एक तो हमें भीषण गर्मी के मौसम को देखते हुए यह चुनाव एक माह पहले पूरा करा लेना चाहिए था। दूसरी सीख है, (आयोग की व्यवस्थायों के बारे में) अनर्गल प्रचार से निपटने की जरूरत का सबक। 

उन्होंने कहा कि इन चुनाव को संपन्न कराने में पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ काम किया गया है और आयोग ने  विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों की ओर से आए सुझावों को माना है । क्योंकि ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि आयोग सत्तारूढ़ दल के प्रति उदार रुख दिखा रहा है। ध्यान रहे निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के जरिए ही देश में लोकतंत्र सुरक्षित रखा जा सकता है। ऐसे में  निश्चित रूप से चुनाव आयोग के लिए सुगम मतदान की व्यवस्था करना चुनौतीपूर्ण कार्य था। 

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