कांग्रेस इंडिया में भी बात रुकी।

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ऐसा नहीं है कि एनडीए में सीट बंटवारा नहीं हो रहा है तो विपक्षी पार्टियों ने सीट शेयरिंग पर बात कर ली है। विपक्षी गठबंधन इंडिया में ज्यादा समस्या दिख रही है। कांग्रेस की ओर से सीट बंटवारे को लेकर जो बातचीत हो रही थी वह रूक गई है। क्यों रूकी है यह किसी को पता नहीं है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा की ही तरह वहां भी गठबंधन के सहयोगियों की तस्वीर साफ नहीं हो रही है। कौन रहेगा और कौन छोड़ेगा यह तय नहीं हो पा रहा है। 

इसलिए बातचीत थोड़ा आगे बढ़ती है और फिर रूक जाती है। जिन राज्यों में ऐसी दुविधा नहीं है, जैसे तमिलनाडु में तो वहां सीट बंटवारा फाइनल हो गया है। डीएमके ने पिछली बार की तरह कांग्रेस को नौ सीटें देने का फैसला किया है। पिछली बार कांग्रेस नौ में से आठ सीटों पर जीती थी। इस बार भी वह अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद कर रही है। लेकिन डीएमके के अलावा किसी राज्य में कांग्रेस ने सीट शेयरिंग फाइनल नहीं की है। 

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 11 सीटें छोडने का ऐलान किया था लेकिन कांग्रेस के नेता इसे पहली किश्त मान रहे हैं। अगर जयंत चौधरी की पार्टी रालोद गठबंधन से बाहर होती है तो कांग्रेस की सीटें बढ़ सकती हैं। जैसे बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के इंडिया से बाहर होने के बाद कांग्रेस को एक बार फिर पिछली बार की तरह नौ सीटें मिल सकती हैं। बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस की नेशनल एलायंस कमेटी की एक बैठक राज्यसभा सांसद मनोज झा से बातचीत हुई थी लेकिन दोबारा फिर कोई बैठक नहीं हुई।

झारखंड में उथल-पुथल का घटनाक्रम रहा और अब नई सरकार बनी है, जिसका विस्तार अगले कुछ दिन में होना है। वहां अभी सीट बंटवारे की बातचीत शुरू भी नह हई है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी ज्यादा सीटों पर लड़ने की मांग कर रही है। 

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा माथापच्ची चल रही है, जहां कांग्रेस के साथ शिव सेना का उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी का शरद पवार गुट गठबंधन में हैं। इनके अलावा प्रकाश अंबेडकर और राजू शेट्टी की पार्टी भी है। आम आदमी पार्टी के साथ भी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा और गुजरात को लेकर बातचीत हो रही थी लेकिन वह बातचीत भी थम गई है।

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