राहत की बात

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आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है। तकनीकि क्रांति के कारण आतंकवाद के रूप और अभिव्यक्तियां लगातार विकसित हो रही हैं। आतंकवादी और आतंकवादी समूह आधुनिक हथियारों और सूचना प्रौद्यागिकी की बारीकियों तथा साइबर एवं वित्तीय क्षेत्र की गतिशीलता को अच्छी तरह से समझते हैं। भारत सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का कई दशकों से शिकार रहा है। 

राहत की बात है कि केन्द्र और राज्य की एजेंसियों ने पिछले नौ वर्षों में देश में आतंकवाद के सभी स्वरूपों पर मज़बूती से नकेल कसने में सफलता प्राप्त की है। सुरक्षा बलों और नागरिकों के निरंतर प्रयासों के परिणाम स्वरूप देश में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा आयोजित एंटी टेरर सम्मेलन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हम सबको मिलकर इस बुराई को जड़ से खत्म करना होगा। उन्होंने दोहराया कि सरकार देश से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। 

सरकार ने पिछले पांच वर्षों में कई बड़े डेटाबेस तैयार किए हैं, केन्द्र और राज्य की सभी एजेंसियों को इनका बहुआयामी उपयोग करना चाहिए, तभी हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सफल हो सकेंगे। हालांकि सरकार ने क्रिप्टो, हवाला, टेरर-फंडिंग, संगठित अपराध सिंडीकेट, नार्को-टेरर लिंक्स जैसी सभी चुनौतियों पर कड़ा रूख अपनाया है जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं, लेकिन अभी भी काफी कुछ करना बाकी है। 

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ग्लोबल से गांव तक और देश के विभिन्न राज्यों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ काम करने की ज़रूरत है। यानि आतंकवाद ही नहीं बल्कि इसके पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त करने की ज़रूरत है। नया आतंकी संगठन खड़ा ही न हो पाए सभी एंटी-टेरर एजेंसियों को ऐसे क्रूर दृष्टिकोण को अपनाना होगा। ध्यान रहे आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती और कोई भी राज्य अकेले आतंकवाद का सामना नहीं कर सकता। 

सभी केन्द्रीय और राज्य-स्तरीय आतंकवाद-निरोधी एजेंसियों के लिए एक सामान्य प्रशिक्षण माड्यूल होना चाहिए, जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की कार्यपद्धति में एकरूपता लाई जा सके। अतीत में अलग-अलग रूपों में आतंकवाद ने भारत को नुकसान पहुंचाया लेकिन भारत ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया। आतंकवाद को ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति से हराया जा सकता है।

साथ ही दुनिया के अन्य देशों की तरफ से भी ऐसे प्रयासों की जरूरत है। आतंकवाद जीवन, शांति और समृद्धि के मौलिक मानवाधिकारों का दुश्मन है। दुनिया से इस अभिशाप को खत्म करने के लिए सभी देशों को एक साथ मिलकर काम करना होगा। आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी रणनीति बनानी होगी। 

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