हल्द्वानी: आईटी सिटी में अपराधियों का भविष्य, जेल में गुजर रही जिंदगी की शाम

हल्द्वानी: किसी ने हत्या की है तो कोई दुष्कर्म का दोषी है। एक-एक कर ऐसे तमाम अपराधियों की शाम जेल की सलाखों के पीछे गुजर रही है।

सालों बाद ये जेल की चाहरदिवारी से बाहर आएंगे तो दुनिया बदल चुकी है, लेकिन एक संस्था इस बदली दुनिया में भी इन अपराधियों का भविष्य उज्ज्वल बनाने की तैयारी कर रही है। बशर्ते इन अपराधियों को कंप्यूटर ज्ञान हो तो देश की आईटी सिटी में इनका भविष्य संवर सकता है। 

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हल्द्वानी उपकारागार में कैदी और बंदियों के भविष्य तराशने के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं। पढ़ाई-लिखाई के साथ फर्नीचर बनाना, लोहे के दरवाजे-खिड़की और पेंटिंग करना और सिलाई-कढ़ाई के साथ कंप्यूटर ज्ञान भी दिया जा रहा है। उपकारागार में हमेशा बंदियों और कैदियों की संख्या 15 सौ से अधिक रहती है।

वर्तमान में यहां 7 सजायाफ्ता भी कैद हैं, जो सजा पूरी होने के बाद ही बाहर की दुनिया देख सकेंगे। जेल अधीक्षक प्रमोद पांडेय ने बताया कि जेल में 20 कैदी और बंदियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें सजायाफ्ता भी हैं। इन सभी सजायाफ्ता को 20 साल तक की सजा काटनी है। 

कंप्यूटर सीख रहे लोगों को भविष्य में नौकरी मिलने की उम्मीद है। दिल्ली की एक संस्था ने जेल प्रशासन से संपर्क किया है और कहा है कि कंप्यूटर का ज्ञान रखने वालों को वह आईटी कंपनी वाले शहरों में नौकरी दिलाएंगे। ये अवसर जेल में सालों गुजारने वालों के लिए एक बेहतरीन मौका है। जेल से छूटने के बाद कंप्यूटर कोर्स की जानकारी रखने वालों को दूसरे शहरों और राज्यों में नौकरी में परिवार संग अपना भविष्य संवार सकेंगे। इन शहरों में बंगलौर भी शामिल है। 

बंदी और कैदी सीख रहे व्यापार का हुनर

नौकरी एक अलग बात है, इससे इतर जेल प्रशासन कैदी और बंदियों व्यापार का हुनर सिखा रहा है। जिसकी बदौलत जेल से निकलने के बाद ये लोग न सिर्फ खुद का व्यापार शुरू कर सकेंगे, बल्कि औरों को नौकरी भी दे सकेंगे। मौजूदा वक्त में जेल में एक रेडियो जॉकी है, जो गाने भी गाता है। लकड़ी के बेड, कुर्सी, मेज व अन्य सामान बनाने वाले हैं। कैनवास और वॉल पेंटिंग का हुनर जानने वाले भी हैं, जो अपना हुनर औरों को भी दे रहे हैं। 

Edited By: Ballia Tak

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