World Cancer Day: कैंसर को लेकर शासन गंभीर, जिले का स्वास्थ्य विभाग निष्क्रिय

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पीलीभीत: केंद्र सरकार भले ही कैंसर से बचाने की चिंता जाहिर कर रही हो, लेकिन जिले में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार गंभीर बीमारी के प्रति उदासीन हैं। मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में कैंसर के मरीज तो आते हैं। मगर उनकी स्क्रीनिंग और इलाज नहीं होता है। सिर्फ कैंसर का नाम सुनकर ही उन्हें रेफर कर दिया जाता है। इस वजह से जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास कैंसर रोगियों का डाटा तक मौजूद नहीं है।

सरकार कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा घोषित अनुपूरक बजट में किशोरियों के लिए सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन देने की घोषणा की गई।  हालांकि जनपद स्तर पर कैंसर की जागरूकता व रिकॉर्ड को लेकर कोई गंभीर नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास कैंसर रोगियों का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। यह हाल तब है जबकि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कैंसर रोगियों की पहचान कर हायर सेंटर भेजने के आदेश पूर्व में ही कर दिए गए थे। 

बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में आम बीमारियों के अलावा कैंसर और गैर संचारी रोगों की जांच करने के भी निर्देश थे। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ को कैंसर रोगियों, विशेषकर सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय का कैंसर) व स्तन कैंसर के रोगियों की पहचान लक्षण के अनुसार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। मगर जिले में ऐसा नहीं हो रहा है।  वर्तमान समय में जिले में 170 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर संचालित हो रहे हैं। शेष सीएचओ की कमी और अधूरे निर्माण के चलते बंद पड़े हैं। जो भी सेंटर चल रहे हैं, उन पर कैंसर की जांच नहीं हो रही है। मेडिकल कॉलेज से लेकर अन्य  सरकारी अस्पतालों में भी मरीज पहुंचते हैं। 

उन्हें देखने के बाद स्क्रीनिंग तो दूर की बात है, उनका नाम पता तक नोट नहीं किया जाता। वर्तमान समय में महिलाओं में दिन-प्रतिदिन सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर की संख्या बढ़ती जा रही है। सिर्फ महिला अस्पताल ने वर्ष 2022 में कैंसर मरीजों का डेटा तैयार किया था। जिनमें  कुल 28084 कैंसर मरीज चिन्हित हुए थे। जिनमें 1548 महिलाओं में सर्वाइकिल, ब्रेस्ट आदि के कैंसर की पुष्टि हुई थी। शेष  26536 पुरुष मिले थे। 

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इनमें अधिकतर को मुंह और फेफड़ों के कैंसर की पुष्टि हुई थी। इसके अलावा आहार नली, मुख, ब्रेस्ट आदि का कैंसर निकला था। इसके बाद महिला अस्पताल ने भी कोई डेटा तैयार नहीं किया गया है। कैंसर की बीमारी सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावित कर रही है। कारण जागरुकता के अभाव लोग कैंसर के लक्षण को नजरअदांज कर देते हैं। जो बाद मे विकराल रुप धारण करती है।

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ऑन्कोलॉजी, कीमोथेरेपी, आंको सर्जरी और रेडियो थेरेपिस्ट  की नहीं सुविधा
254 करोड़ की लागत से बने संयुक्त चिकित्सालय को सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल का दर्जा देते हुए मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया जा चुका है। इसे करीब तीन साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी कैंसर का इलाज न मिले तो सरकार की स्कीम का गरीबों का क्या फायदा? क्योंकि अभी तक मेडिकल कॉलेज में  कैंसर का इलाज करने वाले विशेषज्ञ और संसाधनों की खरीद नहीं हो सकी है।  मेडिकल कॉलेज में ऑन्कोलॉजी, कीमोथेरेपी, आंको सर्जरी और रेडियोथेरेपिस्ट की सुविधा नहीं है। ऐसे में अभी भी मरीजों को अभी भी हायर सेंटर जाना पड़ रहा है।  

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मेडिकल कॉलेज अभी पूरी तरह से संचालित नहीं हुआ है। जिसको शुरु करने की कवायद चल रही है। आने वाले समय में मरीजों को इस बीमारी का भी इलाज दिलाने के प्रयास किए जाएंगे। ताकि उन्हें बाहर न दौड़ना पड़े। - डॉ. संगीता अनेजा, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज

कैंसर का इलाज जिले में नहीं होता है। अधिकतर मरीज बाहरी जिलों में जाकर इलाज कराते हैं। इसलिए अधिकतर मरीजों की जानकारी नहीं मिल पाती है। अब सभी सीएचओ को निर्देश दिए हैं कि वहां आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग तैयार करें। साथ ही अन्य अस्पतालों को भी डेटा भेजने के लिए कहा गया है। - डॉ.आलोक कुमार, सीएमओ

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