पीलीभीत: बाघ की हड्डियां लेकर नेपाल जा रहे खीरी के तस्कर, एसटीएफ ने धरे...जानिए मामला 

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पीलीभीत: एसटीएफ और डब्लूसीसीवी की संयुक्त टीम ने घेराबंदी कर बाघ की  हड्डियों को बेचने जा रहे  पड़ोसी जिले लखीमपुर खीरी के दो तस्करों को दबोचा है। जबकि एक तस्कर मौके से भागने में सफल रहा। तस्करों के पास से भारी मात्र में पैथेंरा टिगरिस की हड्डियों का ढांचा बरामद हुआ है। इसको लेकर स्पेशल टॉस्क फोर्स लखनऊ की ओर से प्रेसनोट भी  जारी किया है। पूछताछ करने के बाद आरोपी तस्करों के खिलाफ माला वन रेंज में अभियोग पंजीकृत करते हुए कार्रवाई की जा रही है।

बता दें कि  एसटीएफ को सूचना मिली कि शनिवार को कुछ लोग बाघ की हड्डियों को बेचने के लिए पीलीभीत आ रहे हैं, जोकि नेपाल जाने की फिराक में हैं। इस पर एसटीएफ के उप निरीक्षक तेजबहादुर सिंह अपनी टीम और डब्लूसीसीवी टीम के साथ आए और घेराबंदी शुरु कर दी।

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टाइगर रिजर्व की माला रेंज के पास दो तस्करों को गिरफ्तार कर लिया। जबकि एक तस्कर मौके से भाग निकला। हालांकि इसकी पुष्टि एसटीएफ ने अपने प्रेसनोट में नहीं की है। इसकी जानकारी डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने दी है। पकड़े गए तस्करों के कब्जे से भारी मात्रा में बाघ की हड्डियां और ढांचा के अलावा दो मोबाइल और 310 रुपये बरामद हुए।  

पकड़े गए तस्करों से पूछताछ की गई तो तस्करों ने अपना नाम अक्षय पुत्र रामऔतार और रामचंद्र पुत्र तेजीराम बताया। जोकि लखीमपुर खीरी जिले के  गांव त्रिलोकपुर के निवासी हैं। एसटीएफ की पूछताछ में यह भी बताया कि इन हड्डियों की बिक्री नेपाल और चीन में होती है। जहां इनकी दवाएं तैयार की जाती है।

इसलिए वह इन हड्डियों को नेपाल बेचने के लिए जा रहे थे। पूछताछ करने के बाद आरोपियों के खिलाफ माला रेंज में केस दर्ज किया गया है।जहां से उन्हें जेल भेजा जाएगा। टीम में  विनोद कुमार यादव, कृष्णकांत शुक्ल, आलोक रंजन, सुनील कुमार यादव, अफजाल और डब्लूसीसीवी के सदस्य शामिल रहे।

पीढ़ियों से कर रहे बाघ का शिकार, रास्ते में लगाते हैं लोहे का कुंडा
एसटीएफ की मानें तो बाघ की हड्डियों के साथ पकड़े गए तस्कर पीढ़ियों से बाघ का शिकार करते आ रहे हैं। बाघ को मारने के लिए पहले जंगल में उसकी रैकी करते हैं। फिर उसके रास्ते पर लोहे का बना कुंडा लगा देते हैं। जिसमें उसका पैर फंस  जाता है। जिस वजह से तड़प तड़प कर उसकी मौत हो जाती है। बाघ के मरने के बाद  उसकी खाल, मांस और हड्डियों को अलग-अलग कर छिपा देते हैं। फिर एक-एक कर नेपाल और चीन में इसकी तस्करी करते हैं। जिससे उन्हें पांच से 10 लाख रुपये की कमाई होती है। बाघ की हड्डियां बेचने के लिए भी वह नेपाल जा रहे थे।

रहस्य:  कहां से आई बाघ की हड्डियां
एसटीएफ ने भले ही बाघ की हड्डियों को बेचने जा रहे दो तस्करों को गिरफ्तार कर लिया हो। लेकिन पूछताछ के बाद भी अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उनके पास यह बाघ की हड्डियां कहा से आई है? एसटीएफ ने अपने प्रेस नोट में भी इसका उल्लेख नहीं किया है कि तस्करों ने बाघ की हत्या किस जंगल में की है। इसको लेकर अफसर भी कुछ बताने को तैयार नहीं हैं।

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