Lucknow: थम नहीं रहा नगर आयुक्त व पार्षद विवाद, कार्रवाई की मांग, जानें पूरा मामला

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लखनऊ। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह पर सदन में लगे आरोपों पर घमासान अभी थमा नहीं है। उन पर 28 फरवरी को सदन में सरोजनी नगर द्वितीय वार्ड के भाजपा पार्षद राम नरेश रावत ने हैदराबाद की रामकी कंपनी को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। इससे सदन में हंगामा हो गया. हालांकि महापौर सुषमा खर्कवाल ने आरोप बेबुनियाद बताकर नगर आयुक्त की प्रशंसा की थी, लेकिन मामले का पटापेक्ष नहीं हो पाया है।

राम नरेश ने महापौर, नगर आयुक्त, पार्षद मुकेश सिंह मोंटी, गिरीश गुप्ता, रंजीत सिंह, अनुराग मिश्रा व राजू दीक्षित पर आरोप लगा रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस कमिश्नर को ऑनलाइन प्रार्थना पत्र दिया तो मामला और तूल पकड़ गया। शुक्रवार को नगर आयुक्त के पक्ष में नगर निगम कर्मचारी संघ उतरा। अध्यक्ष आनंद वर्मा व महामंत्री राम अचल ने नगर आयुक्त की प्रशंसा की। मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और नगर आयुक्त के 28 जून 2022 से उनके द्वारा किए कार्यों की प्रशंसा की। राम नरेश के आरोपों को निराधार बताते हुए उनके द्वारा किया गया बर्ताव गलत बताया और कार्रवाई की मांग की।

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हैदराबाद की कंपनी को लेकर विवाद

सदन में हैदराबाद की रामकी कंपनी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगे थे। कंपनी को आठ में से पांच जोन में सफाई का काम दिया गया था। सदन में रामनरेश रावत ने नगर आयुक्त पर कंपनी को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। इससे आहत होकर नगर आयुक्त सदन से बाहर चले गए थे। इसको लेकर पार्षदों में हंगामा ने किया था। पुलिस के आने पर मामला शांत हुआ था। इस पर राम नरेश को महापौर ने सदन से निलंबित कर दिया था।

सदन का अपमान, कार्रवाई की मांग

नगर निगम एवं जलकल कर्मचारी संघ भी नगर आयुक्त के पक्ष में उतरा। शुक्रवार को अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। लिखा कि सदन में हुई घटना आशोभनीय है। नगर आयुक्त पर गलत आरोप और अमर्यादित व्यवहार से नगर निगम की छवि खराब हुई है। वहीं, सदन का अपमान हुआ है। इस मामले की जांच कराते हुए कार्रवाई की जाए।

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