लखनऊ: स्थाई अधिवक्ताओं का सहयोग न मिलने से हाईकोर्ट खफा, कानूनी जानकारी की कमी पर जताई नाराजगी

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ताओं कानूनी ज्ञान की कमी के कारण उचित सहयेाग नहीं मिल पाने पर कड़ी नाराजगी जतायी है। न्यायालय ने कहा है कि पिछले पूरे सप्ताह चेतावनी देने के बावजूद हालात में सुधार नहीं दिख रहा है। न्यायालय ने महाधिवक्ता और प्रमुख सचिव, विधि/विधि परामर्शी को आदेश दिया है कि वे दो सप्ताह में बताएं कि इस स्थिति को सुधारने के लिए वे क्या करेंगे। न्यायालय ने प्रमुख सचिव, विधि को अपने विचारों के साथ-साथ महाधिवक्ता के इस विषय पर विचार लेकर हलफनामा के जरिये कोर्ट को बताने को कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने चेतावनी भी दी है कि यदि 24 जनवरी तक हलफनामा न आया तो महाधिवक्ता और प्रमुख सचिव, विधि को तलब किया जाएगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने मंगला की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। दरअसल मामले में याची के अधिवक्ता का तर्क था कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा 12 सी के तहत विहित प्राधिकारी ने एक चुनाव याचिका का निस्तारण करते हुए पुनर्मतगणना का आदेश दे दिया जो कि विधि सम्मत नहीं है क्योंकि जब विहित प्राधिकारी ने चुनाव याचिका ही निस्तारित कर दी तो उसे उस याचिका पर आगे आदेश पारित करने का अधिकार नहीं रह जाता है।

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वहीं सुनवाई के दौरान जब न्यायालय ने स्थायी अधिवक्ता से इस कानूनी तर्क का जवाब देने को कहा तो उनके द्वारा पहले तो मामले में सरकार से दिशा निर्देश प्राप्त करने के लिए समय की मांग की गई। हालांकि स्थायी अधिवक्ता ने यह दलील भी दी कि याची के पास जनपद न्यायाधीश के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने का विकल्प है लिहाजा उसकी याचिका पोषणीय नहीं है। इस पर न्यायालय ने सुनवाई के बाद विहित प्राधिकारी के आदेश पर स्टे लगा दिया और राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का मौका दे दिया।

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