गाजीपुर: पुलिस की 25 हजार का इनामी बदमाश के साथ हुई मुठभेड़, प्रेमिका के साथ मिलकर की थी उसके पति की हत्या

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यूपी के गाजीपुर में दुकानदार स्वतंत्र भारती हत्याकांड का मुख्य आरोपी वीरू यादव को पुलिस ने शनिवार की देर रात मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया, उस पर 25 हजार का इनाम घोषित था. खानपुर थाने की पुलिस टीम रात में बिहारीगंज क्रासिंग के पास संदिग्ध व्यक्तियों व अपराधियों की चेकिंग कर रही थी. इसी दौरान एक संदिग्ध बाइक सवार बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए उचौरी के रास्ते भागने लगा. पुलिस ने उसका पीछा किया. मगर बदमाश अपने आपको चिरौना कला गांव के पास पुलिस टीम द्वारा दोनों तरफ घिरा देख फायरिंग कर दी. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की. मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली लग गई, जिससे वह घायल हो गया. पुलिस से हुई पूछताछ में उसने अपना नाम वीरू यादव निवासी गांव खुटवा थाना शादियाबाद बताया. उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया. वहीं एसपी सिटी ज्ञानेंद्र भी मौके पर पहुंचकर घटनाक्रम की जानकारी ली. उन्होंने बताया कि उसके पास से एक पिस्टल, 3 खोखा कारतूस, एक जिन्दा कारतूस और एक बिना नंबर प्लेट की बाइक बरामद हुई है.

यहां जानें पूरा मामला

गौरतलब है कि 29 सितंबर की शाम को सिधौना निवास मोबाइल दुकानदार स्वतंत्र भारती की वीरू ने अपने दो दोस्तों नंदगंज थाना के डिहिया गांव निवासी गोविंद यादव और हकीमपुर सोंथी निवासी गामा बिंद के साथ मिलकर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी. पुलिस ने जब हत्याकांड की कड़ी जोड़नी शुरू की तो मृतक की पत्नी कंचन के हत्याकांड में शामिल होने की जानकारी मिली.

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इसके बाद पुलिस ने कंचन, गोविंद और गामा को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में यह बता सामने आई थी कि कंचन से वीरू का प्रेम प्रसंग चल रहा था. दूसरी जाति के होने के कारण परिवार के लोग कंचन की शादी इसी वर्ष मार्च में स्वतंत्र से कर चुके थे. इसके बाद वीरू ने कंचन के साथ प्लान बनाकर उसके पति की हत्या कर दी थी. इसके बाद से वीरू फरार चल रहा था.

मुंबई में मां और चार मासूम बच्चों का हत्यारा वाराणसी में गिरफ्तार

वाराणसी के सारनाथ क्षेत्र स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर के नजदीक एसटीएफ और महाराष्ट्र पुलिस की संयुक्त टीम ने शनिवार को दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया. ये दोनों भाई मुंबई में 29 साल पहले तीन हजार रुपये गायब होने पर मां और चार मासूम बच्चों की हत्या कर फरार चल रहे थे. आरोपियों की पहचान जौनपुर जिले के गौरा बादशाहपुर थाना के निशान गांव निवासी अनिल सरोज उर्फ विजय और सुनील सरोज उर्फ संजय के तौर पर हुई है. दोनों को अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर मुंबई पुलिस अपने साथ ले गई.

तीन हजार रुपये के लिए कर दी थी हत्या

दरअसल, मुंबई के भड़वाल चाल, पेंकरमाला मीरा रोड, भयंदर में अनिल सरोज अपने भाई सुनील के साथ रहकर मजदूरी करता था. दोनों भाइयों के पड़ोस में प्रयागराज का राज नरायन प्रजापति अपनी पत्नी जगरानी, तीन मासूम बेटों और एक बेटी के साथ रहता था. अनिल सरोज के सूटकेस से एक दिन तीन हजार रुपये गायब हो गए थे. अनिल को शक था कि उसका पैसा राज नरायन प्रजापति के बच्चों ने गायब किया है.

इस बात को लेकर दोनों परिवारों में आए दिन कहासुनी होने लगी. 16 नवंबर 1994 को राज नरायन अपने काम पर चला गया था. इसके बाद सुनियोजित तरीके से अनिल और सुनील ने अपने साथी बड़ागांव थाना के नोनवटी बीरापट्टी निवासी कालिया चौहान उर्फ अमरनाथ के साथ राज नरायन की पत्नी व चारों बच्चों की चाकू व चापड़ से हमला कर हत्या कर दी. इस संबंध में थाना काशीमीरा थाणे में अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था.

महाराष्ट्र पुलिस ने वाराणसी यूनिट से मांगी मदद

पुलिस की विवेचना के दौरान अनिल, सुनील और अमरनाथ का नाम सामने आया. अमरनाथ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन अनिल और सुनील का पता नहीं लगा था. दोनों भाइयों के बारे में मीरा भयंदर वसई की क्राइम ब्रांच यूनिट को पता लगा कि वह जौनपुर में ही हैं और बनारस उनका आना-जाना लगा रहता है. इसके आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने दोनों भाइयों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ की वाराणसी यूनिट से मदद मांगी.

दिल्ली में की मजदूरी, फिर बन गए तांत्रिक

एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र पुलिस के सहयोग मांगने पर पर इंस्पेक्टर अमित श्रीवास्तव के नेतृत्व में एसआई अंगद यादव, ज्ञानेंद्र सिंह व शहजादा खां की टीम गठित की गई. सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से पता लगा कि अनिल और सुनील सारनाथ क्षेत्र स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर आने वाले हैं. इस सूचना के आधार पर दोनों को सारंगनाथ महादेव मंदिर के पास से गिरफ्तार किया गया.

रिश्तेदार के यहां अपने परिजनों से करते थे मुलाकात

दोनों के पास से आधार कार्ड और एक हजार रुपये बरामद किए गए. एसटीएफ की पूछताछ में दोनों भाइयों ने बताया कि मां और चार बेटों की हत्या करने के बाद वह मुंबई से भाग गए थे. मुंबई से दोनों दिल्ली आए और मजदूरी कर जीवन यापन करने लगे. दोनों कभी अपने घर नहीं जाते थे. चोरी से किसी रिश्तेदार के यहां जाकर अपने परिजनों से मुलाकात कर लेते थे. यह सिलसिला लगभग 15 वर्षों तक चला.

दोनों आरोपी जा रहे थे मंदिर में पूजापाठ करने

जब दोनों आश्वस्त हो गए कि अब वह पकड़े नहीं जाएंगे तो वर्ष 2009 में जौनपुर जिले के केराकत थाना के सोहनी गांव स्थित अपने ननिहाल में नाम और वेशभूषा बदल कर रहने लगे. इसके साथ ही अनिल ने तांत्रिक पूजा का काम शुरू कर दिया और सुनील उसका सहयोगी बन गया. इसके बाद दोनों बिना किसी डर के इधर-उधर आने-जाने लगे. इसी क्रम में दोनों भाई सारनाथ क्षेत्र स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर में भी पूजापाठ के लिए अक्सर आते थे. पूजापाठ के लिए ही दोनों भाई सारंगनाथ महादेव मंदिर जा रहे थे, लेकिन उससे पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए.

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