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बलिया में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर संगोष्ठी
Ballia News : आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत सोमवार को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस संगोष्ठी का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने भी प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में विभाजन विभीषिका पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री सभी अतिथियों व मौजूद लोगों को दिखाया गया। त्रासदी के दौरान अपनी जान देने वाले बलिदानियों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया। इस अवसर पर विभाजन विभीषिका से संबंधित अभिलेख प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें तत्कालीन घटनाक्रम की फोटो, अखबारों की कतरनें, साहित्य, राजकीय अभिलेख एवं विस्थापित परिवारों के द्वारा संरक्षित सामग्रियों का प्रदर्शन किया गया।
सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने भारत के उस विभाजन विभीषिका के दौर को याद कर करते हुए बलिदानियों को नमन किया। उन्होंने कहा कि जिस देश का समाज अपना अतीत नहीं जानता, समाज सोया हुआ माना जाता है। इस दौरान उन्होंने बंगाल विभाजन और स्वदेशी आंदोलन का भी जिक्र किया। बलिया के क्रांतिकारियों का गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए 1942 की ऐतिहासिक कहानी बताया। उन्होंने कहा कि बलिया में शहीदों के जितने अनाम शहीद हैं, उनको भी चिन्हित कर स्मारक बनवाने की पहल हो।
राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने सभा में आए स्वतंत्रता सेनानी और विस्थापित परिवार के लोगों का आभार जताया और विभाजन विभीषिका दिवस के मार्मिक व्यथा पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस तरह का भयानक विस्थापन हमारे देश के साथ हुआ यह विस्थापितों के लिए अत्यंत निराशाजनक है और पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली है।
जिलाधिकारी ने विभाजन विभीषिका के दौरान बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी अतिथियों, स्वतंत्रता सेनानी व उनके आश्रितों, विस्थापित परिवार के लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बलिया जिला का नाम ब्रिटिश पार्लियामेंट में उल्लेखित होने का वर्णन करते हुए बलिया की बलिदानी धरती पर कार्य कर खुद को गौरवान्वित महसूस होने की बात कही।
विभाजन के यादों को किया साझा
विभाजन विभीषिका के दौरान विस्थापित परिवार के सरदार सुरेंद्र सिंह ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि जय भारत पाकिस्तान बंटवारा हुआ तब वहां से हमारे लोग अपनी जमीन, पशु और अन्य बहुमूल्य चीजें छोड़कर लाहौर के पास से गांव में रहते थे इसके बाद किसी तरीके से रात के अंधेरे में जान बचाकर भारत आ गये और यहां फिर से मेहनत करके अपने जिंदगी संवारने का काम किया। इसी दौरान स्वतंत्रता सेनानी रामविचार पांडेय ने भी भारत विभाजन के दौरान पूर्वी बंगाल एवं पश्चिमी पाकिस्तान से बलिया जिले में आये शरणार्थियों के विषय में उनकी दर्दनाक कहानी शेयर की। कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू, सीडीओ प्रवीण वर्मा, सीएमओ डा जयंत कुमार सहित अन्य लोग मौजूद थे। संचालन एडीएम डीपी सिंह ने किया।