'राममय' हुई भृगुनगरी : पांच दिन से चल रहा अनुष्ठान, आज होगी 400 वर्ष पुराने विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा

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बलिया : भगवान श्रीराम के स्वागत को राम नगरी अयोध्या की तर्ज पर भृगुनगरी सजकर तैयार है। अयोध्या की तर्ज पर बलिया में भी श्रीराम-सीता, लक्ष्मण समेत अन्य देवी देवताओं के करीब 350 से 400 वर्ष पुराने विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी यानी आज की जाएगी। यहां भी पांच दिन पहले से अनुष्ठान शुरू है। 17 जनवरी को पंचांग पूजन, 18 को वेदी पूजन, अधिवास व अग्नि स्थापन, 19 जनवरी को अन्न आदि अधिवास के बाद 20 को तीर्थों से लाए गए जल से स्नान कराया जा चुका है। 21 को वास्तु पूजन के बाद मंदिर में विग्रह को स्थापित किया गया। वहीं, आज (22 जनवरी) को मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता समेत अन्य विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा होगी। 

 
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भृगु मंदिर के ठीक सामने श्रीराम-जानकी का मंदिर वर्षों पहले से स्थापित था। मंदिर के जीर्ण-शीर्ण होने पर करीब 700 स्क्वायर फीट जमीन पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया है। गर्भगृह का निर्माण में मकराना से आए मुस्लिम कारीगर साजिद, सादात व समीर ने किया है। साजिद कहते हैं, अयोध्या धाम में बन रहे श्रीराम मंदिर के लिए भी सफेद पत्थर मकराना से ही आए हैं। वहां की फैक्ट्री में पत्थरों को तराशने के बाद अयोध्या लाया गया। उस फैक्ट्री में हम सभी ने काम किया था। मंदिर की देखभाल कर रहे बलिया के सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत सिंह के अनुसार प्रथम बलिया के श्रीराम-लक्ष्मण हैं, जिनकी प्रतिमा का करीब 350 से 400 वर्ष बाद नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो रही है।
 
रजनीकांत सिह के अनुसार विग्रह बहुत ही जागृत हैं। बचपन से ही हमने और आसपास के लोगों ने कई चमत्कार प्रत्यक्ष रूप से देखे हैं। बताया कि इस मंदिर के निर्माण की तैयारी उन्होंने पिछले वर्ष ही कर ली थी, पर किंचित कारणों से मंदिर का काम नहीं हो सका। शायद भगवान राम की यही मंशा थी की वो अयोध्या के राम लला की स्थापना के दिन अपने नए मंदिर में विराजमान हों। यहां भी 17 जनवरी से अनुष्ठान शुरू है। 22 जनवरी यानी आज राम लला अपने नए मंदिर में विराजमान होंगे। इसको लेकर सबमें काफी उत्साह और हर्ष व्याप्त है।
 
21 फीट ऊंचे शिखर पर छह फीट का कलश
 
रजनीकांत सिह के मुताबिक, नवनिर्मित मंदिर का शिखर 21 फीट का है तथा उसके ऊपर छह फीट का मुख्य कलश। इनके अलावा एक-एक फीट के अन्य 16 कलश शिखर के चारों ओर लगाए गये है। शिखर दूर से ही आकर्षक दिखे, इसके लिए लाइटिंग भी की गई है। गर्भगृह के निर्माण के लिए मकराना (राजस्थान) से करीब पांच टन सफेद पत्थर मंगाया गया था। 
 
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'प्रथम बलिया' के हैं श्रीराम-लक्ष्मण
 
गंगा की कटान के बाद बलिया शहर मौजूदा स्थान पर तीसरी बार बसा है। शहर के विस्थापित होने पर प्रतिमाओं को भी नयी जगह पर लाया गया। पुरातत्व में शोध कर रहे डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार महर्षि भृगु मंदिर के ठीक सामने स्थापित मंदिर की प्रतिमाएं भी 'प्रथम बलिया' के समय की लगभग 350 से 400 वर्ष पुरानी हैं। बताते हैं, वर्ष 1894 में पहली बार और 1905 में दूसरी बार बलिया कटान से विस्थापित हुआ। लोग अपने साथ प्रतिमाओं को भी ले आए और नयी जगहों पर स्थापित किया। 
 
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सजा राम दरबार, आज होगी प्राण प्रतिष्ठा
 
मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में प्रभु को 95 घड़ों के जल से स्नान कराने के पश्चात स्नपन (पट खोलने की एक प्रक्रिया जिसमे मूर्तियों के सामने सीसा रख पीछे से सोने के सलाखे से आंखों के चारों ओर काजल लगाने की तरह गुमाया जाता है) किया गया। प्रसाद अर्पित करने के साथ ही वस्त्र आदि से सुसज्जित कर शैयाधिवास का कार्य पूर्ण हो चुका है। इस सम्पूर्ण अनुष्ठान के मुख्य यजमान रजनीकांत सिंह की श्रीराम भक्त माता आशा देवी व पिता विजय प्रकाश सिंह है। अति प्राचीन प्रथम बलिया की निशानी प्रभु श्री राम, माता जानकी, भ्राता लक्ष्मण व भक्त हनुमान के साथ संपूर्ण शिव परिवार व मां दुर्गा की प्रतिमा का भी प्राण प्रतिष्ठा होगी। इस अवसर पर विशाल भंडारा भी आयोजित है। 
 
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