Ballia News: सांसें राम में... तन शैय्या पर, फिर भी बलिया के 87 वर्षीय कारसेवक के मन में है प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न हो पाने का मलाल

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Ballia News : हरि अनंत हरि कथा अनंता... रामनगरी अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में इतिहास का सृजन करने वाले रामलला 22 जनवरी को अपने सही स्थान पर विराजमान होंगे और देश दीवाली मनाएगा।भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्या नगरी दुल्हन की तरह सजकर तैयार है। प्राण प्रतिष्ठा को यादगार बनाने में हर कोई जुटा है। सम्पूर्ण देश राममय हो चुका है। वहीं इस समारोह में शामिल होने के लिए कई नामचीन हस्तियों को आमंत्रण मिला है, जो इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए बेताब हैं। लेकिन जिले के एक ऐसे कारसेवक हैं, जो स्वास्थ्य कारणों से समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे, जिसका उन्हें काफी मलाल है। 

हम बात कर रहे हैं जिले के सबसे पुराने कारसेवक और मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी करने वाले बलिया तहसील क्षेत्र के रिकनीछपरा गांव निवासी सुधाकर मिश्र का। सांसें राम में... तन शैय्या पर, फिर भी इनके मन में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का जबरदस्त उत्साह है। चारपाई पर लेटे-लेटे 87 वर्षीय कारसेवक सुधाकर मिश्र का कहना है कि यह सिर्फ प्राण प्रतिष्ठा नहीं, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अभ्युदय है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आध्यात्मिक दर्शन और चेतना का नवविहान है। 
 
शारीरिक अस्वस्थता की वजह से भले ही सुधाकर मिश्र इस अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय पल का गवाह नहीं बन पा रहे हैं। लेकिन 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की जिक्र सुनते ही उनकी आंखों में खुशी के आंसू तैरने लगते है। बातचीत के दौरान मंदिर आंदोलन का श्रेय पूर्व भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को देते हुए बताया कि इनके नेतृत्व में ही यह आंदोलन मुकाम हासिल कर पाया। भाजपा नेताओं के निःस्वार्थ अपील की ही देन थी कि देश के कोने कोने से लाखों की संख्या में कारसेवक अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार रहते थे। 
 
बलिया से करीब तीन से चार बार कारसेवकों का नेतृत्व करने वाले सुधाकर मिश्रा का मंदिर आंदोलन में अहम किरदार रहा है। इतना ही नहीं छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वस्त होने के समय पुलिस ने जब गिरफ्तार करने की कोशिश की तो बड़ा जनसमूह रामगढ़ चट्टी पर इनके समर्थन में उत्तर आया था, जिसके बाद पुलिस को पांव पीछे खींचने पड़े थे, लेकिन सहृदयता दिखाते हुए मिश्रा पुलिस वैन में सवार हो गए। इसके बाद पुलिस ने जिला कारागार में निरुद्ध कर दिया था। 
 
अटल ने किया था प्रचार, कलराज ने घर पर की थी मुलाकात
 
सुधाकर मिश्रा जनसंघ के टिकट पर वर्ष 1969 और 1974 में द्वाबा विधान सभा से विधायक के लिए चुनाव भी लड़े थे। 1974 में इनके चुनाव प्रचार के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई आए थे। इसके बाद वर्ष 1999 में अचानक इनकी तबीयत बिगड़ने की सूचना पाकर प्रदेश के तत्कालीन पीडब्लूडी मंत्री कलराज मिश्रा पैतृक आवास रिकनी छपरा पहुंच गए। कुशल क्षेम पूछने के साथ त्वरित उपचार की व्यवस्था कराई थी।
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