हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट : न्यायिक जांच की मांग को लेकर कांग्रेस का बहिर्गमन

भोपाल। मध्यप्रदेश के हरदा जिला मुख्यालय पर पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के मामले को लेकर आज विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने मामले की न्यायिक जांच और पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए की राहत राशि की मांग को लेकर हंगामा किया और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के जवाब से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन किया।

इसके पहले मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कांग्रेस सदस्यों की ओर से लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर देते हुए विस्फोट के बाद राज्य शासन की ओर से तत्काल उठाए कदमों की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने दृढ़ता से कहा कि कितना भी बड़ा अधिकारी हो, कोई भी हो, जांच के बाद कोई नहीं बचेगा, निश्चित रूप से सब पर कठोर कार्रवाई होगी। उन्होंने राज्य भर में विस्फोटक लाइसेंस संबंधित कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दी।

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हादसे की जानकारी लगते ही मंगलवार को दिन में कैबिनेट की बैठक बीच में रोकी। मंत्री राव उदयप्रताप सिंह के साथ दो अधिकारियों को तुरंत हेलीकॉप्टर से घटनास्थल पर भेजा गया। आपात बैठक बुलाकर तैयारी की। 100 से ज्यादा फायर ब्रिगेड घटना स्थल पर भेजी गईं और 50 से अधिक एंबुलेंस ग्रीन कॉरिडोर बनाकर घायलों को लेने के लिए लगाई गईं।

इंदौर, भोपाल और नर्मदापुरम में अस्पतालों को अलर्ट जारी किया। जब घायल वहां पहुंचे, तो डॉक्टरों की टीम तैयार थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए चिकित्सा के पर्याप्त प्रबंधन कर रही है। बर्न यूनिट और बनाएंगे, मरीजों के लिए एयर एंबुलेंस सेवा भी प्रारंभ की जाएगी।

मुख्यमंत्री के जवाब के बाद भी नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत के अलावा अन्य विपक्षी विधायक न्यायिक जांच की मांग पर अड़े रहे। रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री इस मामले में न्यायिक जांच, पीड़ित परिवारजनों को 1-1 करोड़ रुपये राहत राशि और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की घोषणा करें।

इसके साथ ही विपक्षी सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष सिंघार के नेतृत्व में बहिर्गमन कर दिया। शासन की ओर से मंत्री उदय प्रताप सिंह ने भी घटना के संबंध में जानकारी दी। मंत्री सिंह को ही घटना के फौरन बाद अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर भेजा गया था। नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि घटना की न्‍यायिक जांच होना चाहिए या फिर कानून के अनुसार ओपन कोर्ट जांच होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मामले में तत्कालीन कमिश्नर समेत अन्य अधिकारियों को भी आरोपी बनाया जाए। उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि प्रशासन को वहां इतनी जल्दी बुलडोज़र चलाने की आवश्‍यकता क्यों पड़ी। वहां भूमि को समतल और बराबर करने की जरूरत क्यों पड़ी, इसका मतलब कि वहां ज्‍यादा लोगों की मृत्यु हुई है।

इसके पहले रावत ने इस मामले को लेकर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हादसे की भयावहता देखकर लग रहा है कि वहां सुतली बम से हटकर जिलेटिन बनाने का काम भी किया जा रहा होगा। अभी तक स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं हो पाई है कि घटना स्‍थल पर तत्‍समय फैक्‍ट्री में कितने मजदूर काम कर रहे थे। उस फैक्‍ट्री में 500 लोगों के काम करने की क्षमता थी।

उन्होंने फैक्ट्री के सील होने के बाद तत्कालीन संभाग आयुक्त माल सिंह द्वारा सील पर “स्टे” दिए जाने की कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लगाया। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने जोर देते हुए कहा कि अधिकारियों का स्थानांतरण कोई कार्रवाई नहीं है और सरकार संबंधित अधिकारियों पर भी एफआईआर दर्ज कराए।

हरदा विधायक रामकिशोर दोगने ने कहा कि 15-20 साल से फैक्‍ट्री चल रही थी, उस फैक्‍ट्री में 600-700 लोग काम कर रहे थे, उनका रिकार्ड अभी तक नहीं मिला है। दोगने आज विधानसभा हरदा मामला का विरोध जताने के उद्देश्य से प्रतीक स्वरूप गले में सुतली बम से बनी माला पहनकर गए थे। लेकिन विधानसभा के सुरक्षा अधिकारियों ने उनके विधानसभा में प्रवेश के पहले ही उनसे माला उतरवा ली।

कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने कहा कि हादसे को देखकर लग रहा है कि वह पटाखा फैक्‍ट्री नहीं थी, वहां बम बन रहे थे, इसकी जांच कौन करेगा। सदन में इस मामले को लेकर डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब मुख्यमंत्री डॉ यादव ने दिया। 

Edited By: Ballia Tak

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