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समागम में भगदड़
हाथरस में धार्मिक समागम के बाद मची भगदड़ में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई। देश में धार्मिक आयोजनों के समय भगदड़ के कारण हुई त्रासदियों में एक घटना और जुड़ गई। हादसे की जो तस्वीरें आई हैं वे विचलित कर देने वाली हैं। जान गंवाने वालों में बच्चे-बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं। भगदड़ का मुख्य कारण बताया जा रहा है कि कथावाचक भोले बाबा का काफिला निकल रहा था।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की ओर से मुआवजे का ऐलान कर दिया गया है। देश में यह पहली घटना नहीं है जब भगदड़ मचने से इतनी बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई हो। इससे पहले कई ऐसी घटनाएं घटी है जब कुछ ही घंटों में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी। हादसे से साफ है कि इस प्रकार के आयोजनों के दौरान लोगों की सुरक्षा पर सजगता कितनी कम है। भीड़ भरे स्थलों को संभालने के लिए बने नियमों का उल्लंघन होता है।
सवाल उठता है कि इस तरह के धार्मिक आयोजनों में ही क्यों ज्यादा भगदड़ मचती है। दरअसल धार्मिक आयोजनों में बड़ी संख्या में लोग जमा होते हैं। लोगों की संख्या भी तय नहीं होती, जिस कारण भीड़-प्रबंधन बेहद मुश्किल हो जाता है।
कार्यक्रम में राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा समेत कई राज्यों के हजारों लोग लोग शामिल थे। कई किलोमीटर तक वाहनों की लाइन लगी थी। जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्लाउडियो फेलिचियानी और ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के डॉ. मिलाद हागानी के शोध के मुताबिक भगदड़ के दौरान ज्यादातर लोग दम घुटने से मरते हैं। जब भीड़ एक दूसरे के ऊपर चढ़ती है तो उसकी शक्ति बहुत अधिक होती है।
इतनी ताकत से जब किसी का शरीर भिंचता है तो सांस लेना असंभव हो जाता है। गिरकर मरने से ज्यादा लोग खड़े-खड़े मरते हैं। जो लोग नीचे गिरकर मरते हैं, वे भी दरअसल, सांस घुटने से मरते हैं क्योंकि उनके ऊपर गिरे या भागते लोग उनका दम घोंट देते हैं। ऐसे में सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए ऐसा डेटाबेस होना और उसका विश्लेषण करना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके।