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भरोसे लायक नहीं चीन
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन अपनी उपस्थिति और ताकत लगातार बढ़ा रहा है। भारत, उसके सहयोगियों और चीन के बीच नौसैनिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ रही है। नवंबर में एक पनडुब्बी सहित पांच चीनी नौसैनिक जहाजों ने पाकिस्तान के तट पर संयुक्त अभ्यास में भाग लिया था। दिसंबर के मध्य में एक भारतीय नौसैनिक जहाज ने फिलीपींस नौसेना के साथ अभ्यास में भाग लिया।
ऐसा माना जाता है कि अनुसंधान जहाज पानी के नीचे की संरचनाओं का मानचित्रण कर रहा है और महासागरों के इस हिस्से में भारतीय नौसैनिक गतिविधि पर भी नजर रख रहा है। ध्यान रहे चीन का विशेष जहाज, जियांग यांग होंग 3 भारत के आसपास के जल क्षेत्र में पहले भी दो लंबी यात्राएं कर चुका है। ऐसे जहाजों का प्राथमिक उद्देश्य निश्चित रूप से सैन्य लक्ष्यों से जुड़ा हुआ है।
ऐसे में जब भारत पहले से ही मालदीव में राजनयिक विरोधाभासों का सामना कर रहा है, चीन की यह कार्रवाई चिंता पैदा करती है। कुछ दिनों पहले लक्षद्वीप में समुद्र किनारे टहलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चित्रों पर उठे सवाल के बाद मुस्लिम बहुल देश मालदीव को संकट में पड़ा देखकर चीन लाभ लेने की कोशिश में है।
पिछले सप्ताह विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कंपाला में एक अंतर्राष्ट्रीय बैठक में अपने मालदीव समकक्ष मूसा ज़मीर के साथ बातचीत की थी। कहा जाता है कि ज़मीर ने मालदीव की मांग दोहराई कि भारत को अपने 87 सैन्य कर्मियों को वापस बुला लेना चाहिए। हालांकि इसकी संभावना कम ही है कि भारत इस तरह की वापसी के लिए तैयार होगा।
गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 10 जनवरी को बीजिंग में एक स्वागत समारोह में शामिल हुए। इसके बाद मुइज़्ज़ू ने बयान दिया कि हमारा देश छोटा हो सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी भी देश को हमें धौंस देने का लाइसेंस मिल गया है। उसका इशारा भारत की ओर था। यूं तो मालदीव बहुत छोटा सा देश है जो भारत के लिए कभी भी खतरा नहीं बन सकता परंतु चीन नजदीकी जताकर उसे भारत से उलझने के लिए उकसा रहा है।
भारत के पड़ोसी छोटे देशों को चीन आर्थिक मदद के जरिये प्रभावित करता है। चीन का किसी भी देश में अपना दखल व उपस्थिति बढ़ाने का यह चिर-परिचित व आजमाया हुआ नुस्खा है। भारत को इससे सतर्क रहना होगा।