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हल्द्वानी: रिहाई के आड़े आई गरीबी, 500 रुपये जुर्माना भी नही भर पा रहे कैदी
हल्द्वानी: सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन न तो जेब में और न ही परिवार के पास इतने पैसे हैं कि वो अपने बेटे की रिहाई खरीद सकें। ऐसे में जुर्माना न भर पाने के एवज में उन्हें सजा पूरी करने के बावजूद दिन जेल में गुजारने पड़ रहे हैं। अब ऐसे कैदियों की रिहाई को लेकर बड़ा कदम उठाया है, लेकिन रिहाई से पहले कैदी और उसके परिवार को कई जांचों से होकर गुजरना होगा।
इसी को देखते हुए आर्म्स एक्ट के दोषियों की रिहाई का फैसला लिया गया है। वर्तमान में हल्द्वानी उप कारागार में 294 कैदी और इसमें से 12.58 प्रतिशत यानी 37 कैदी ऐसे हैं जिनकी रिहाई के आदेश हो चुके हैं, बावजूद इसके वो सलाखों के पीछे दिन गुजारने को मजबूर है। इसकी वजह यह है कि ये कैदी आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर हैं, जो जुर्माने की राशि अदा नहीं कर पा रहे। इनकी स्थिति इतनी दयनीय है कि ये 500 से 1000 रुपये का जुर्माना भरने के लायक भी नहीं है।
लोक अदालत से निकली रिहाई की राह, लेकिन...
हल्द्वानी : बीती 10 दिसंबर को नैनीताल में लोक अदालत लगी। इसमें न्यायालय ने आर्म्स एक्ट के तहत सजा पूरी कर जुर्माना न जमा कर पाने की वजह से कारावास काट रहे कैदियों को रिहा करने के आदेश दिए थे। न्यायालय ने आदेश के साथ यह शर्त भी रखी कि इन कैदियों पर जुर्माना भी लगाया जाए, जो 500 से 1000 रुपये तक होना चाहिए। अब एक कमेटी ऐसे कैदियों की रिहाई की तैयारी कर रही है, जो ये मामूली जुर्माना भी जमा नहीं कर पा रहे हैं।
राज्य और जिला स्तर पर काम कर रहीं दो कमेटी
हल्द्वानी : रिहाई के लिए राज्य और जिला स्तर पर दो कमेटियां काम कर रही है। राज्य स्तर की कमेटी में पुलिस, प्रशासन, जेल प्रशासन और शासन के उच्चाधिकारी शामिल हैं। जबकि जिला स्तर की कमेटी में जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जेल अधीक्षक और नगर निगम के अधिशासी अभियंता हैं। जिला स्तर की कमेटी 25 हजार रुपये जुर्माने वाले कैदियों और राज्य स्तर की कमेटी 40 हजार जुर्माने वाले कैदियों की रिहाई पर काम करेगी।
आर्थिक आधार पर कैदियों को मिलेगी रिहाई
हल्द्वानी : कैदियों को आर्थिक आधार पर रिहाई मिलेगी। यानी कमेटी जांच कर यह तय करेगी कि कैदी या उसका परिवार जुर्माना राशि जमा करने में सक्षम नहीं है। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि रिहाई के बाद कैदी कहीं दोबारा जरायम की दुनिया में तो नहीं कूद जाएगा। जब यह स्पष्ट होगा कि जेल से निकलने के बाद कैदी आम नागरिक की तरह जीवन गुजर-बसर करेगा, तभी कमेटी उसकी रिहाई पर मुहर लगाएगी और उन्हें किसी सूरत में रिहाई नहीं दी जाएगी जो दुष्कर्म, पॉक्सो, एनडीपीएस, भ्रष्टाचर और आतंकवाद जैसे अपराध के दोषी होंगे।
इन जेलों की क्षमता इतनी, रहते हैं दो गुने
देहरादून 580
हरिद्वार 888
टिहरी 150
चमोली 169
पौड़ी 150
नैनीताल 71
अल्मोड़ा 102
हल्द्वानी 535
रुड़की 244
सितारगंज 522
वर्तमान में उप कारागार में करीब 37 ऐसे कैदी हैं, जिन्हें कमेटी शर्तें पूरी करने पर रिहा कर सकती है। इन कैदियों की सूची तैयार है और इसे एक संस्था को दिया जाएगा। ये संस्था कैदियों का जुर्माना भरेगी और फिर कमेटी रिहाई पर फैसला लेगी।
- प्रमोद पांडेय जेल अधीक्षक, हल्द्वानी उप कारागार