मुरादाबाद : 'लड़कियों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं, दुनिया में फहरा रहीं परचम'

नमो देव्यै : जीवन में आगे बढ़ने के लिए कोई शार्टकट नहीं, संघर्ष से ही जीवन में आता है निखार

जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी बोली- बेटियां अनमोल, दुनिया में फहरा रहीं परचम

मुरादाबाद: एक बात बिल्कुल साफ है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए कोई शार्टकट नहीं है। सफलता हासिल करने के लिए संघर्ष जरूरी है। इसलिए मेहनत से न घबराएं। आज के दौर में लड़कियां किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। इनकी शिक्षा से किसी प्रकार का समझौता न करें, बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें और आत्मनिर्भर बनाएं। लड़कियां दुनिया में परचम लहरा रही हैं। एक सामान्य परिवार से संबंध रखने वाली ऋतुषा तिवारी ने कठिन परिश्रम से प्रथम प्रयास में ही 2014 में लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की। वर्तमान में वह जनपद में जिला कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। कहती हैं कि मन में कुछ करने की इच्छा हो तो रास्ता खुद ही मिलता चला जाता है। बस आगे बढ़ने की ललक होनी चाहिए।

ऋतुषा तिवारी मूलरूप से लखीमपुर से हैं और एक सामान्य परिवार से संबंध रखती हैं। वह कहती हैं कि पिता ने शिक्षा दिलाने में कोई कोताही नहीं की और तीनों बहनों को अच्छी शिक्षा दिलाई। बहनों ने भी घर में भाई की कमी महसूस नहीं होने दी और पूरी शिद्दत के साथ शिक्षा प्राप्त की। कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर से कृषि में बीएससी की। पिता एक विभाग में एकाउंटेंट थे, लेकिन उन्होंने बेटियों की शिक्षा के लिए किसी कमी को आड़े नहीं दिया। जीवन में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत की और पहली बार में ही लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की। पहली बार कृषि विभाग में एसडीओ की जिम्मेदारी मिली। दोनों बहन भी अध्यापिका हैं।

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2019 से ऋतुषा मुरादाबाद में जिला कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। कहती हैं कि आज के दौर में माता-पिता लड़कियों की शिक्षा को लेकर गंभीर रहते हैं, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र में कुछ परिवार ऐसे हैं जहां पर लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने में संकोच करते हैं। बेटियां दो घरों को रोशन करती है। अगर लड़की शिक्षित होगी तो वह परिवार की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दे सकती है। वह कहती हैं कि उन्होंने अभी विवाह नहीं किया। नौकरी के साथ ही महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

महिलाएं स्वावलंबी बनेंगी तो समाज आगे बढ़ेगा। सरकार भी लड़कियों की शिक्षा को लेकर काफी गंभीर है। तरह-तरह की योजनाएं चला रखी हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी सरकार काम कर रही है। कहती हैं कि बेटा और बेटी में किसी प्रकार का अंतर नहीं करना चाहिए। जहां बेटे परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं तो वहीं बेटियां भी माता-पिता का नाम ऊंचा कर रही हैं। शिक्षा प्राप्त करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। महिलाएं जितनी शिक्षित होंगी, उतनी ही आत्मनिर्भर बनेंगी। नौकरी के साथ-साथ राजनीति में भी महिलाएं आगे आ रही है। बेटियों पर भरोसा कर उन्हें खुले आसमान में उड़ने दें और अपना मुकाम हासिल करने में पूरी मदद करें।

महिलाओं को आगे बढ़ाने का किया जा रहा काम
मुरादाबाद। जिस विभाग की जिम्मेदारी मिली है, उसका बखूबी निर्वहन किया जा रहा है। कार्यालय में काम करने वाली दूसरी महिलाओं को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि के क्षेत्र में भी महिलाएं काम कर रही हैं। अगर कोई महिला अपनी समस्या लेकर कार्यालय आती है तो उसका प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण किया जाता है। महिलाएं कृषि में भी विभिन्न प्रकार के स्वयं सहायता समूह बनाकर काम कर रही हैं। इन महिलाओं को खासतौर से प्रशिक्षण भी दिया जाता है जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें। महिलाएं समाज की रीढ़ है। क्योंकि वह परिवार की भी जिम्मेदारी निभाती हैं।

मनोकामना पूर्ण होने को मंदिर में पूजा करने नंगे पैर आते हैं श्रद्धालु
पाकबड़ा। नगर में चामुंडा देवी मंदिर 100 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। यह आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है। मंदिर को नवरात्रों पर विशेष रूप से सजाया जाता है और प्रतिदिन भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। यहां माता की पूजा अर्चना मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां पहले मैदान में एक मठ था, जिसे चामुंडा देवी के नाम से जाना जाता था। उसके बाद कुछ लोगों ने इसकी बाउंड्री वॉल कराई और मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उसके बाद यहां पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा 1987 में स्कूल की स्थापना की गई। उसके बाद मंदिर में काली माता और शिव परिवार आदि की मूर्तियां स्थापित की गई।

100 साल पहले बने इस मंदिर में लोग तभी से पूजा करते आ रहे हैं। यहां संचालित स्कूल का नाम भी चामुंडा देवी सरस्वती शिशु मंदिर के नाम से रखा गया। यहां प्रतिदिन आरएसएस की शाखा भी लगाई जाती है। चामुंडा देवी सरस्वती शिशु मंदिर पाकबड़ा के प्रबंधक राकेश सिंह ने बताया कि नवरात्रों में यहां पर भक्तों खासकर महिलाओं की पूजा करने के लिए सुबह से ही लाइन लग जाती है। मान्यता के तौर पर लोग घरों से मंदिर में पूजा के लिए नंगे पैर आते हैं। माना जाता है कि इससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर की देखरेख स्कूल के माध्यम से ही की जाती है। मंदिर पाकबड़ा थाने से 400 मीटर की दूरी पर स्थित है।

Edited By: Ballia Tak

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