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World AIDS Day: सात फीसदी बच्चे हो रहे एचआईवी का शिकार, बड़ों की लापरवाही बन रही आफत
Lucknow : एचआईवी और एड्स का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। यह भय ही नुकसान का सबसे बड़ा कारण है। इतना ही नहीं भय और जागरुकता की कमी के चलते मौजूदा समय में सबसे अधिक बच्चे एचआईवी की चपेट में आ रहे है। वयस्क डर और जागरुकता के चलते जांच नहीं कराते और उनके जब बच्चे होते हैं तो वह भी एचआईवी संक्रमित हो जाते हैं। यह कहना है एसजीपीजीआईएमएस में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ.) रुंगमेई एसके मराक का।
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि एड्स एक गंभीर बीमारी है। यह पूरी तरह से ठी नहीं हो सकती, लेकिन मौजूदा समय में जांच और दवा के जरिये इस बीमारी के खतरे को कम जरूर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जागरुकता जरूरी है। इसके लिए एक दिसंबर को हर साल विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि पूरे भारत में कुल आबादी का 2.1 प्रतिशत आबादी एचआईवी से ग्रसित है। इस दौरान उन्होंने बच्चों को लेकर एक चिंता जाहिर की और कहा कि मौजूदा समय में बच्चे अधिक संख्या में एचआईवी संक्रमित हो रहे हैं। इसके पीछे की वजह उनके माता पिता है। जो समय रहते अपनी जांच नहीं कराते और अपने बच्चों को यह संक्रमण दे देत हैं। यदि समय रहते वह अपनी जांच करा लें तो उनके होने वाले बच्चों को एचआईवी संक्रमित होने से बचाया जा सकता है। हर साल करीब 7 प्रतिशत बच्चे एचआईवी संक्रमित हो रहे हैं।
यूपी नंबर दो पर
प्रो (डॉ.) रुंगमेई एसके मराक ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में लोग इस संक्रमण को लेकर बिलकल भी सावधानी नहीं बरत रहें है। जिसके कारण यूपी भारत में एचआईवी संक्रमण के मामले में दूसरे नंबर पर है।
इस तरह से बचें-
यौन संबंध बनाते समय सावधान रहें।
एचआईवी के लिए नियमित जांच करायें।
सूई साझा करने में हमेशा सवाधानी बरतें।
जरूरत पड़ने पर गुणवत्ता मानक पूरा करने वाले ब्लड बैंक से ही ब्लड लें।