Train Accident: 13 साल में 5 बड़े हादसे... नहीं सुधरी व्यवस्था, रेलवे अधिकारी बोले- जांच रिपोर्ट के आधार पर होता है सुधार

कानपुर समेत आसपास जिलों में 13 सालों में 5 बड़े हादसे हुए।

कानपुर समेत आसपास जिलों में 13 सालों में 5 बड़े हादसे हुए। लेकिन व्यवस्था सुधरी नहीं है। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर सुधार होता है।

कानपुर: कानपुर के आस-पास होने वाली ट्रेन दुर्घटना पुराने हादसों की याद ताजा करते हैं। पिछले 13 सालों में रेलवे 5 बड़े हादसों का गवाह बन चुका है। हादसे होने के बाद जांच कमेटी गठित होती है। जांच के लंबी चलने पर मामला रेलवे तक ही सीमित रह जाता है। कुछ दिन कड़ाई होती है इसके बाद सब कुछ पुराने ढर्रे पर पटरी पर लौट आता है।

कई हादसों का कारण आज तक पता नहीं चल पाया। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रेलवे की ओर से होने वाली जांच को काफी गंभीरता से लिया जाता है। दोषियों पर कार्रवाई होती है और जांच रिपोर्ट के आधार पर रेलवे में उपाय भी किए जाते हैं। बाजवूद इसके हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे। इस बार तो एक के बाद एक दो हादसों से रेलवे प्रशासन भी सकते में हैं।  

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गोरखधाम एक्सप्रेस हादसा

कानपुर के पनकी स्टेशन के पास 2 फरवरी 2010 को भिवानी-गोरखपुर, गोरखधाम एक्सप्रेस दुर्घनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में 10 यात्रियों की मौत और 40 से अधिक यात्री घायल हो गए थे। रेलवे बोर्ड ने आज तक इस ट्रेन दुर्घटना की रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया।

रिपोर्ट नहीं हुई सार्वजनिक

कानपुर-इटावा के बीच रूरा स्टेशन के पास 28 दिसंबर 2016 को अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई। इस हादसे में 2 यात्रियों की मौत और दो दर्जन से अधिक यात्री घायल हुए थे। इस दुर्घटना की भी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। रिपोर्ट के सार्वजनिक न होने पर आम लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। 

हादसे को नहीं भूले लोग

कानपुर-प्रयागराज के बीच मलवां स्टेशन के पास कालका एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई। 10 जुलाई 2011 को हुए हादसे में 70 से अधिक यात्रियों की जान चली गई। इसके अलावा सैकड़ों यात्री घायल हो गए थे। इस ट्रेन दुर्घटना की भी जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई।

155 की हुई थी मौत

कानपुर देहात के पुखरायां में 20 नवंबर 2016 को हुआ रेल हादसा आज भी लोगों में सिहरन पैदा करता है। इस हादसे में इंदौर-राजेंद्र नगर पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। यह हादसा दिल्ली-हावड़ा रूट का सबसे बड़ा हादसा था। हादसे में 155 यात्री की मौत हुई थी। लगभग 200 से अधिक यात्री घायल हो गए थे। इस हादसे की जांच रिपोर्ट का भी अभी तक खुलासा नहीं हुआ। 

ट्रेन डिरेल करने की साजिश
कानपुर अनवरगंज-फर्रुखाबाद रूट पर मंधना के पास 31 दिसंबर 2017 को आरी से ट्रैक को काट कर ट्रेन को डिरेल करने की साजिश रची गई थी। मौके से आरपीएफ व जांच टीम को लोहा काटने वाली आरी भी बरामद हुई थी। इस मामले की जांच रिपोर्ट भी अन्य घटनाओं की तरह विलुप्त हो चुकी हैं।

रेल हादसों को रेलवे प्रशासन गंभीरता से लेता है। सभी रेल हादसों की बाकायदा प्रोटोकॉल के अनुसार कमेटी गठित की जाती है। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। हादसों के बाद हुई जांच की रिपोर्ट पर ही रेलवे सुधार कार्य भी करता है।- अमित मालवीय, पीआरओ, रेलवे

दो यात्रियों को ढाई लाख, 10 को 50 हजार मुआवजा

दरभंगा क्लोन स्पेशल एक्सप्रेस और वैशाली एक्सप्रेस में घायल हुए दो यात्रियों को ढाई ढाई लाख तथा 10 यात्रियों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा रेलवे की ओर से दिया है। यह मुआवजा सीएमआई नरेश मीना ने घायल यात्रियों को प्रदान किया।

नई दिल्ली से दरभंगा जा रही क्लोन स्पेशल ट्रेन में घायल हुए दरभंगा के दयानंद मंडल तथा उनके पुत्र रौनक राज को ढाई ढाई लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। दो-दो लाख का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से तथा 50-50 हजार नगद प्रदान किए गए। इसी ट्रेन के चार अन्य यात्रियों को भी 50-50 हजार रुपये नगद दिए गए।

उधर, वैशाली एक्सप्रेस में भी आग लगने से घायल हुए छह यात्रियों को भी 50-50 रुपये का नगद मुआवजा दिया गया है। घायल यात्रियों को भुगतान देते समय आरपीएफ के एएसआई सचिन तिवारी भी मौजूद रहे। रेलवे द्वारा सैफई मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में भर्ती घायल यात्रियों को भी मुआवजा दिया गया है। सीएमआई ने बताया कि ट्रेन हादसे में घायल हुए अन्य यात्रियों को भी 50-50 का मुआवजा दिया जाएगा।

Edited By: Ballia Tak

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