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बरेली: कप्तान साहब, गुरुवार को लगने वाले अवैध बाजार को पुलिस नहीं रोक रही, एसएसपी को पार्षदों का पत्र... थानों की पुलिस सड़कों से नहीं हटने दे रही
आलमगिरीगंज, मठ चौकी, सेटेलाइट रोड और किला इलाके की समस्या का जिक्र, थानों की पुलिस को सख्त निर्देश जारी करने का आग्रह, न लगने दें अवैध बाजार
बरेली : शहर में जहां-तहां सड़कों पर लग रहे अवैध साप्ताहिक बाजार एक ओर आम लोग कई साल से सिरदर्द झेल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम और पुलिस के बीच इस मुद्दे पर एक-दूसरे के पाले में गेंद उछाली जा रही है। अब दो पार्षदों ने एसएसपी को पत्र लिखकर सीधे थानों की पुलिस पर यह अतिक्रमण कराने का आरोप लगाया है।
गली मनिहारन चौराहे से लेकर सुनहरी मस्जिद होते हुए बांसमंडी तक दुकानों के आगे पांच से छह फुट तक सड़क पर फड़ सजा लिए जाते हैं। इससे रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है। लोग इस वजह से आवाजाही में भारी दिक्कत झेलते हैं और स्कूल जाने वाले बच्चे तक अवैध बाजार की भीड़भाड़ में फंस जाते हैं। नगर निगम की टीम कई बार इस बाजार को हटा चुकी है लेकिन टीम के लौटते ही बाजार फिर लग जाता है।
पार्षद का आरोप है कि नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के प्रभारी की ओर से हर बार इंस्पेक्टर कोतवाली को दोबारा अतिक्रमण न होने देने की सूचना दी जाती है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकलता। उन्होंने एसएसपी को पत्र देकर कोतवाली पुलिस को सख्त निर्देश जारी करने का आग्रह किया है कि कुतुबखाना क्षेत्र के साथ मठ चौकी में अवैध बाजार न लगने दिए जाएं।
सौदागरान वार्ड के पार्षद संजीव रस्तोगी ने कुतुबखाना से किला रोड पर लगने वाले अवैध बृहस्पति बाजार को हटाने के लिए एसएसपी कार्यालय में ज्ञापन दिया है। वह खुद एसएसपी से मिलने पहुंचे थे लेकिन वह अपने कार्यालय में नहीं थे। उन्होंने भी कोतवाली और किला पुलिस को अवैध बाजार न लगने देने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।
बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास होने बाद भी लग रहा सनडे बाजार: मालियों की पुलिया से ईसाइयों की पुलिया के बीच सड़क पर लगने वाला सनडे बाजार भी इधर से गुजरने वालों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। इस बाजार की वजह से हर रविवार को भीषण जाम लगता है लेकिन इसके बावजूद इसे बंद नहीं कराया जा रहा है। यह इलाका थाना बारादरी क्षेत्र में है। इस बाजार को हटाने के लिए नगर निगम के उपसभापति रहे बोर्ड बैठक में प्रस्ताव तक ला चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद बाजार नहीं हटाया जा सका।
अतिक्रमण : किसी के लिए वोट है तो किसी के लिए नोट: शहर में बेतहाशा अतिक्रमण पब्लिक के लिए मुसीबत है तो सरकारी विभागों और राजनीति करने वालों के लिए इसके अलग ही मायने हैं। हालत यह है कि बढ़ते-बढ़ते सड़कों पर लगने वाले अवैध बाजारों की संख्या दर्जन भर से ज्यादा पहुंच गई है, लेकिन अतिक्रमण हटाने और उसे न होने देने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार विभाग नगर निगम और पुलिस दोनों में से कोई इस पर गंभीर नहीं है।
अवैध साप्ताहिक बाजारों के बाकायदा ठेकेदार भी हैं जो फड़ लगाने वाले दुकानदारों से तय रकम वसूल करते हैं। हर बाजार पर लाखों रुपये की अवैध कमाई होती है। आरोप लगते रहते हैं कि पुलिस के साथ इलाके के छोटे-मोटे नेताओं की भी हिस्सा इसमें रहता है।
सेटेलाइट रोड पर लगने वाले अवैध सनडे बाजार पर कुछ साल पहले एक सपा नेता की छत्रछाया होने का आरोप लगा था। उस दौरान तत्कालीन डीएम ने यह बाजार बंद कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी वह कभी सड़क से हटकर और कभी सड़क पर लगता रहा लेकिन बंद नहीं हुआ।