'मानवता के हीरो' बनें UP पुलिस के इंस्पेक्टर संजय शुक्ल

Ballia News : मानवीय संवेदना के भाव को जागृत किए बिना किसी समाज की उन्नति, उसका विकास और सामाजिक सद्भाव को बनाये रखना महज एक कोरी कल्पना ही है। कर्तव्य की पाबंदियों में बंधा जब कोई पुलिस अधिकारी संवेदना से ओतप्रोत हो अपने लिए जीने की बजाय दूसरों के लिए भी जीना सीख ले लेता है, तो वह विभाग ही नहीं पूरे समाज के लिए नजीर बन जाता है। गड़वार एसएचओ संजय शुक्ल ने नेक नियती की मिशाल प्रस्तुत कर विभाग को इतराने का मौका दिया है।

दरअसल बीते दिनों गड़वार थाना क्षेत्र के एक गांव में बब्लू पासवान की हत्या कर शव कुएं में फेंक दिया गया था। घटना का अनावरण करते हुए पुलिस ने हत्याकांड की दोषी रही मृतक की पत्नी और उसके प्रेमी को सोमवार को जेल भेज दिया। पर बात यहीं खत्म नहीं होती। इस दौरान जो तथ्य सामने आए उसने एसएचओ गड़वार को अंदर तक झकझोर दिया। मृतक बबलू की पांच संतानों की चिंता ने इस कदर बेचैन कर दिया कि रात की नींद हराम हो गई।

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मंगलवार को उक्त बेसहारा बच्चों को सहयोग करने की अपनी मंशा एसपी एस. आनंद से बयां किया तो वे भी गौरवान्वित हो उठे। अपने अधिकारी की अनुमति पर संजय शुक्ल मय हमराह महिला आरक्षी तबस्सुम बानो के साथ मंगलवार को घर गृहस्थी के सामान व मौसम के अनुरूप ठंड वाले कपड़े स्वैटर, शाल, कम्बल आदि लेकर उनके घर पहुंच गए। सभी बच्चों को बड़े लाड प्यार से सांत्वना देते हुए उपरोक्त वस्तुए सौंपी और अपना मोबाइल नंबर देते हुए किसी चीज की जरूरत होने पर तत्काल सूचित करने को कहा।

साथ ही बच्चों से मन लगाकर पढ़ने व नियमित स्कूल जाने को भी कहा। वहीं, ग्राम प्रधान व कोटेदार से बात कर ससमय राशन देते रहने का निर्देश दिया। बेशक गड़वार एसएचओ के इस कार्य को कम्युनिटी पुलिसिंग का रूप दिया जाए, पर इस कार्य ने साबित कर दिया है कि मानवीय संवेदना का कोई नियम या उपनियम नहीं होता। जाति और धर्म से परे संवेदना, मानवीय व्यवहार की वह सर्वोत्कृष्ट अनुभूति है, जो किसी के कष्ट को बर्दास्त नहीं करती। स्वयं भूखा रहकर दूसरों को खिलाने की हमारी परंपरा संवेदनशीलता की पराकाष्ठा है।

संजय शुक्ल ने बताया कि संवेदना दिखावे की वस्तु नहीं, बल्कि अंतर्मन में उपजी एक टीस है, जो आह के साथ बाहर आती है। अपने अंतर्मन की पुकार को अपने उच्चाधिकारी के सामने रखा था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर मुझे आगे बढ़ने को प्रेरित किया।

Edited By: Ballia Tak

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