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Navratri 2023: यहां बिना देवी मां के इजाजत के नहीं होता है दशहरा, कांटों से बने झूले पर झूलकर देती हैं अनुमति
Shardiye Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि शुरु हो चुका है, जो कि 24 अक्टूबर तक रहेगा। आज नवरात्रि का तिसरा दिन है। आज नवदुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। हालांकि आदिशक्ति की उपासना का हर दिन विशेष है। इन दिनों देशभर में शारदीय नवरात्रि की धूम रहती है। जगह-जगह पर मां दुर्गा का भव्य पंडाल सजा हुआ मिलता है। इन पंडालों में देवी मां की आकर्षित मूर्तियां लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
ऐसे ही छत्तीसगढ़ के बस्तर में नवरात्रि और दशहरा पर्व मनाने की एक अलग ही परंपरा है। बस्तर में देवी की अनुमति के बाद ही दशहरा पर्व की शुरुआत होती है। दरअसल, यहां एक नाबालिग कन्या को देवी बनाया जाता है, जो कांटों के झूले पर लेटकर दशहरा पर्व को शुरु करने की अनुमति देती हैं। इस पूरे रस्म को काछन गादी के नाम से जाना जाता है। यहां दशहरा पर देश-विदेश से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
करीब 600 साल पुरानी परंपरा
बस्तर में यह परंपरा करीब 600 सालों से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार, कांटों के झूले पर लेटी कन्या के अंदर साक्षात् देवी आकर पर्व मनाने की अनुमति देती हैं। नवरात्रि के ठीक एक दिन पहले निभाए जाने वाले इस रस्म में एक कुंवारी कन्या को बेल के कांटों के झूले में लेटाया जाता है, जिसके बाद कन्या इस दशहरा पर्व के अन्य रस्मों को मनाने की अनुमति देती है।