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पकड़ौआ विवाह: बंदूक की नोक पर बिहार में हुआ BPSC शिक्षक का विवाह, पढ़िए पूरी कहानी
बिहार में एक बार फिर से पकड़ौआ विवाह का मामला सामने आया है. यह पूरा मामला बिहार के वैशाली जिला से जुड़ा है. पुलिस के अनुसार पातेपुर थाना क्षेत्र के रेपुरा गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पढ़ा रहे बीपीएससी से चयनित शिक्षक को कुछ लोगों ने अगवा कर शादी करा दी. कुछ दिन पहले ही पटना हाई कोर्ट ने ऐसी ही एक (‘पकड़ौआ विवाह’) दस साल पुरानी शादी को रद्द कर दिया है. इस मामले में लड़के ने आरोप लगाया था कि उसे अगवा कर जबरन शादी कराई गई थी. बिहार में इस तरह की शादी के अनेक मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इस प्रकार की शादी को बिहार में ‘पकड़ौआ विवाह’ कहते हैं.
पिस्टल का डर दिखा कर जबरन कराया शादी
इसके बाद पुलिस एक घंटे के अंदर अपहृत शिक्षक और लड़की को बरामद कर थाने पर ले आयी. शिक्षक के परिजनों का आरोप है कि पातेपुर थाना के रेपुरा गांव निवासी राजेश राय ने गौतम का अपहरण करने के बाद पिस्टल का डर दिखा कर अपनी बेटी चांदनी कुमारी से पकड़ुआ विवाह करा दिया है. शादी से मना करने पर शिक्षक से मारपीट भी की गयी. इस मामले में स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक ने भी थाने में ड्यूटी के दौरान शिक्षक का अपहरण करने के आरोप में शिकायत दर्ज करायी है. इस संबंध में अपर थानाध्यक्ष हसन सरदार ने बताया कि कथित तौर पर अपहृत शिक्षक को बरामद कर लिया गया है. परिजनों के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. अपहृत शिक्षक का काेर्ट में बयान दर्ज कराया जायेगा.
पकड़ौआ विवाह क्या है
बिहार में इस तरह की शादी का पुराना इतिहास रहा है. लड़की पक्ष के लोग लड़के को अगवा कर जबरन अपनी लड़की से शादी करा देते हैं. इस प्रकार के विवाह को बिहार में पकड़ौआ विवाह कहा जाता है. पटना हाईकोर्ट ने करीब 10 साल एक पुराने मामले की सुवायी करते हुए इसे रद्द कर दिया था. दरअसल में पकड़वा या पकड़ौआ विवाह ऐसा शादी होती है जिसमें शादी के योग्य लड़के का अपहरण कर उसकी जबरन शादी करवाई जाती है. इस तरह की शादी पर फ़िल्में और टीवी सीरियल तक बन चुके हैं. वर्ष 1980 और उससे पहले के दशक में इस प्रकार की शादी का जबरन प्रचलन था.उत्तर बिहार में ऐसी शादी ज़्यादा देखने को मिलती थी.माना जाता है कि इसके लिए गांव में गिरोह तक होते थे जो लड़कों का अपहरण करते थे. बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर साल जबरन शादी के क़रीब तीन से चार हज़ार मामले दर्ज़ होते हैं. इसमें प्रेम प्रसंग में घर से भागने वाले जोड़ों का आंकड़ा शामिल नहीं है.