भारतीय नवाचार को बढ़ावा

देश के बाहर रहने वाले भारतीय नवाचार को बढ़ावा देने, व्यवस्थाओं और देशों के साथ मजबूत वैश्विक संबंध बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जुड़ाव पैसा कमाने और निवेश के अवसर पैदा करती है जिससे भारत में धनी व्यक्तियों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलती है। भारत में अत्यधिक अमीर व्यक्तियों की संख्या बीते साल यानी 2023 में सालाना आधार पर छह प्रतिशत बढ़कर 13,263 हो गई है। 

बुधवार को जारी नाइट फ्रैंक इंडिया की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। वर्ष 2028 तक अति-अमीरों की संख्या में 50 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है। द वेल्थ रिपोर्ट 2024 में भविष्यवाणी की गई है कि 2023 में 13,263 से बढ़कर 2028 तक 19,908 हो जाएगी। अगर अलग-अलग देशों की बात की जाए तो तुर्किए में अमीरों की संख्या में सालाना आधार पर सबसे अधिक 9.7 प्रतिशत बढ़ी है। 

इसके बाद अमेरिका में अमीरों की संख्या 7. 9 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया में 5.6 प्रतिशत और स्विट्जरलैंड 5.2 प्रतिशत बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर अमीरों की संख्या अगले पांच वर्षों में 28.1 प्रतिशत बढ़कर 8,02,891 होने का अनुमान है। द वेल्थ रिपोर्ट में कहा गया है कि 2028 तक एशिया-पैसेफिक में किसी अन्य क्षेत्र के मुकाबले ज्यादा दौलत बनेगी। 

अमीर लोग अपनी निवेश योग्य संपत्ति का 17 प्रतिशत विलासिता की वस्तुओं में लगाते हैं। उनकी पहली प्राथमिकता लक्जरी घड़ियां होती हैं। इसके बाद कलाकृतियों और आभूषण का नंबर आता है। ‘क्लासिक’ कारें चौथे स्थान पर हैं। इसके बाद लग्जरी हैंडबैग, वाइन, दुर्लभ व्हिस्की, फर्नीचर, रंगीन हीरे और सिक्कों का स्थान आता है। हालांकि वैश्विक स्तर पर बेहद अमीर लोगों की पसंद लक्जरी घड़ियां और क्लासिक कारें हैं। 

अमीर लोगों ने अपनी संपत्ति का करीब 32 प्रतिशत हिस्सा देश के भीतर और बाहर आवासीय संपत्तियों में निवेश किया हुआ है। सवाल है कि क्या भविष्य में इन क्षेत्रों में ग्रोथ बनी रहेगी या संपत्ति सृजन करने वाले ये लोग यूरोप, अमेरिका या उत्तरी अमेरिका की ओर जाएंगे। 

वास्तव में भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है। कम घरेलू मुद्रास्फीति और संभावित ब्याज दर में कटौती अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बनाने में मदद करेंगे देश में अमीरों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि धन सृजन के बदलाव वाले युग में भारत वैश्विक आर्थिक क्षेत्र में समृद्ध और बढ़ते अवसरों के प्रमाण के रूप में खड़ा है। घरेलू मुद्रास्फीति के जोखिमों को कम करने और दरों में कटौती की संभावना से भारतीय अर्थव्यवस्था में और तेजी आएगी।  

Edited By: Ballia Tak

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