संबंधों में प्रगति

पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में भारत-अमेरिका के संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अमेरिका के लिए भारत एक ऐसा भागीदार है जो अमेरिकी सुरक्षा तंत्र पर तनाव कम करने तथा सुरक्षा के बोझ को साझा करने में मदद कर सकता है।

साझेदारी के गहरा होने से भारत अपनी क्षमताओं को क्षेत्र में सुरक्षा प्रदाता के रूप में विकसित कर सकता है। हाल ही में भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता रूस-हमास युद्ध और पश्चिम एशिया में हमास एवं इजरायल के बीच बढ़ रहे संघर्ष के कारण बढ़ती भूराजनीतिक उथल-पुथल के बीच हुई। भारत और अमेरिका ने रक्षा, प्रौद्योगिकी और हिंद-प्रशांत में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।

वार्ता में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों के विस्तार, पश्चिम एशिया की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों पक्षों ने जून 2023 में लांच किए गए भारत-अमेरिका रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र, इंडस-एक्स की प्रगति की समीक्षा की, जिसका उद्देश्य रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करना है।

ध्यान रहे वर्ष 2018 से अमेरिकी नेताओं के साथ प्रत्येक वर्ष टू प्लस टू बैठकें आयोजित की जा रही हैं। दोनों देशों का लक्ष्य रक्षा प्रौद्योगिकियों में गहरी साझेदारी को बढ़ावा देते हुए सहयोगात्मक रूप से रक्षा प्रणालियों का सह-विकास एवं सह-उत्पादन करना है।

साथ ही मुक्त, खुले और विनियमित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच साझेदारी होना महत्वपूर्ण है। अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश अमेरिकी और भारतीय फर्मों के लिए तकनीकी हस्तांतरण, निर्माण, व्यापार एवं निवेश हेतु बड़े अवसर प्रदान करता है। दोनों देशों का व्यापार आज 200 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है, दोनों दिशाओं में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ रहा है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने मुक्त तथा स्वतंत्र भारत-प्रशांत सहयोग को बढ़ावा देने एवं क्षेत्र को उचित लाभ प्रदान करने के लिए ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड समूह का गठन किया है। वास्तव में अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बनाए रखने सहित साझा मूल्यों पर आधारित है।

व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में दोनों के साझा हित हैं। कई उभरती भूराजनीतिक चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों को अहम एवं दीर्घकालिक मामलों पर अपना ध्यान केंद्रित रखने की आवश्यकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘टू प्लस टू’ संवाद ने भारत तथा अमेरिका को भविष्य के अवसरों और चुनौतियों को पूरा करने हेतु द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने का एक मंच प्रदान किया है।

Edited By: Ballia Tak

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