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मदद के लिए क्राउड फंडिंग
2024 का आम चुनाव महत्वपूर्ण हो गया है, इसके लिए कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी को पता है कि अब समय कम है। चुनौती इसलिए भी है कि हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक राज्य में जीत मिली, जबकि दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी अपनी सरकार नहीं बचा पाई। अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और पार्टी के सामने जनता से जुड़ने के साथ-साथ चुनाव में भारी खर्च की भी चुनौती है।
पार्टी की ओर से दावा किया गया कि यह पहल महात्मा गांधी के ऐतिहासिक ‘तिलक स्वराज फंड’ से प्रेरित थी, जिसे सौ साल पहले 1920-21 में लांच किया गया था। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट बताती है कि इलेक्टोरल बांड के जरिए प्राप्त हुए करीब 9188 करोड़ रुपये में से 5272 करोड़ रुपए अकेली भाजपा को मिले। शेष लगभग 1780 करोड़ रुपए अन्य सात राष्ट्रीय व 24 क्षेत्रीय दलों के पास पहुंचे। ऐसे में कांग्रेस के समक्ष लोगों से मदद मांगने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है। इसके माध्यम से पार्टी न केवल अपने खर्च का बंदोबस्त करेगी वरन लोगों से उसका व्यापक जुड़ाव हो सकेगा। इसके लिए कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। देखना महत्वपूर्ण है कि जनता कांग्रेस की दान की अपील को कैसी प्रतििक्रया देती है।
उधर भाजपा ने कांग्रेस के ‘डोनेट फॉर देश’ अभियान पर तंज कसा है। पार्टी नेता ने इसे ‘वंशवाद के लिए दान योजना’ बताया है। ध्यान रहे यह पहला मौका नहीं है जब किसी राजनीतिक दल ने आम जनता से चंदे की अपील की है। इससे पहले साल 2021 में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती के मौके पर चंदा अभियान चलाया था।
आम आदमी पार्टी ने भी साल 2014 में देश-विदेश से चंदा जुटाने का अभियान चलाया था। फिर भी कांग्रेस को कुछ बातों का अवश्य ख्याल रखना होगा। पहला तो यह कि संग्रहित राशि पारदर्शी हो और वह उसे बहुत समझदारी के साथ खर्च करे। इसमें उसे एक-एक पाई का हिसाब रखना होगा वरना उसे बदनाम करने में उसके विरोधी दल कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देंगे।