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हितों की रक्षा में सक्षम
व्यापक राजनयिक व सैन्य वार्ताओं के बाद भारत और चीन कई इलाकों से सैनिकों को वापस बुला चुके हैं। ऐसे में अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन से आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने सैन्य जमावड़े को कम नहीं कर रहा है, बल्कि वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3488 किलोमीटर लंबे इलाके में है। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीन अपने परमाणु जखीरों को तेजी से बढ़ा रहा है। चीन के पास 500 से अधिक सक्रिय परमाणु हथियार हैं और 2030 तक एक हजार से अधिक हो जाएंगे। रिपोर्ट से मिले संकेत के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत को सुरक्षा को बहुत मजबूत करना होगा। भारत को अपनी नई सैन्य रणनीति बनानी चाहिए।
हालांकि चीन और पाकिस्तान की चुनौती को देखते हुए भारत अपने सैन्य उपकरणों को अत्याधुनिक करने में जुटा है। इतना ही नहीं भारत ने आधुनिक तोप और लड़ाकू विमान भी तैनात कर दिए हैं। यानि भारत ने ऐसे कई जगहों पर अपने सैन्य अड्डे विकसित किए हैं, जहां से युद्ध के दौरान चीन और पाकिस्तान को एक साथ निशाना बनाया जा सकता है।
मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में कहा कि भारत का कद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा है। भारत का दुनिया में जो कद आज है, वो न होता यदि देश की सीमाओं को सुरक्षित न रखा होता । इससे पहले विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची पिछले गुरुवार को कह चुके हैं भारत की सुरक्षा पर असर डालने वाले सभी घटनाक्रमों पर निरंतर नजर रखी जा रही है और सरकार अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है। वास्तव में चीन की चुनौती को लेकर भारत पहले से ही सजग है। कई मौकों पर भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब भी दिया है। आज भारत इस हालत में है कि वह अपने हितों की रक्षा स्वयं कर सके।